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गड्ढों में दफन हो गया शौचालयों का सच

विभागीय अफसरों ने नहीं किया गांव-गांव शौचालयों का भौतिक सत्यापन गड़बड़ी दो गढ्डों का निर्माण करकी शौचालय बनाने थे ज्यादातर एक ही गढ्डे के हैं ओडीएफ घोषित करने की हड़बड़ी में अफसरों ने नियमों की अनदेखी की

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Feb 2020 12:41 AM (IST)Updated: Wed, 26 Feb 2020 06:08 AM (IST)
गड्ढों में दफन हो गया शौचालयों का सच
गड्ढों में दफन हो गया शौचालयों का सच

जागरण संवाददाता, हाथरस : जनपद में करोड़ों की लागत से गांव-गांव बनाए गए शौचालयों के घपले-घोटालों की परतें लगातार खुल रही हैं। विभागीय अधिकारियों एवं स्टाफ की मिलीभगत से शौचालय बनाने के दौरान नियमों का खूब मखौल उड़ाया गया। नियमानुसार शौचालय बनाने के लिए दो गड्ढे खोदे जाते हैं, मगर हाथरस में कई गांवों में ऐसे शौचालय बनाए गए, जिनमें एक ही गड्ढे से काम चलाया गया। अगर समय पर इन शौचालयों का सत्यापन होता तो निश्चित रूप से गड़बड़झाला पकड़ा जाता।

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केंद्र सरकार ने दो अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत उन परिवारों को शौचालय के लिए अनुदान दिया गया था, जिनके घरों में शौचालय नहीं थे। ग्राम प्रधान और सचिव के संयुक्त खाते में पैसा हस्तांतरित किया गया था। सितंबर 2018 तक जिले में एक लाख 59 हजार शौचालय बनाए गए। इसके बाद जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया। दूसरे और तीसरे चरण में 15 हजार शौचालय और बनाए गए। ग्रमीणों की मानें जिले को जल्द से जल्द ओडीएफ घोषित करने और शौचालयों का काम जल्द पूरा करने के उद्देश्य से नियमों को ताक पर रखकर एक-एक गड्ढे के शौचालय बनाकर इतिश्री कर ली गई। शौचालय बनवाने का लक्ष्य जल्द पूरा करने के दबाव में जिला पंचायत राज विभाग ने भी नियमों के मखौल को अनदेखा कर दिया। यह है नियम

शासन का निर्देश है कि शौचालय का अनुदान उसी परिवार को मिलेगा जो नियमों का पालन करेगा और पात्र परिवार होगा। पात्र परिवारों ने सहमति पत्र भरे थे। सितंबर 2018 में जिले को ओडीएफ घोषित करना था। इसलिए आनन-फानन शौचालय बनाए गए। नियमानुसार दो गड्ढे वाले जलबंद शौचालय बनाए जाने थे, ताकि मल से मक्खी का संपर्क न हो और गांवों में बीमारियां न फैलें। खर्च बचाने और काम को जल्द खत्म करने के उद्देशय बड़ी संख्या में लाभाíथयों ने शौचालय बनवाने के लिए एक ही गड्ढा बनाया। सरकारी स्तर से भी भौतिक सत्यापन नहीं किया गया और शौचालय बनने के साथ ही सच गड्ढों में दफन हो गया। शौचालय पर अनुदान

विभाग से पैसा ग्राम प्रचायत के खाते में भेजा गया था। ग्राम प्रधानों ने भी लाभाíथयों को 12-12 हजार रुपये के चेक सौंप दिए। शौचालय की छत पर जलापूíत के लिए टैंक भी नहीं बने थे। वहीं बड़ी संख्या में एक गड्ढे वाले शौचालय ही बनाए गए। ये भी जानिए

02 अक्टूबर 2014 को शुरू हुई थी योजना

1,75,000 शौचालय बनाए जा चुके हैं।

2172 शौचालय अब मार्च तक बनाने हैं।

12 हजार रुपये मिलता है शौचालय पर अनुदान

01 अरब, 91 करोड़, 40 लाख, 24 हजार अनुमानित खर्च

12 हजार शौचालय पर अनुदान

01 भी परिवार नहीं छूटेगा शौचालय से इनका कहना है-

दो गढ्डों के साथ शौचालय बनाए जाने का नियम है। ओडीएफ के दौरान मेरी तैनाती यहं नहीं थी। अब जो शौचालय बन रहे हैं वह दो गड्ढों के ही बन रहे हैं। अगर एक गड्ढे पर शौचालय बनाने की शिकायत मिलेगी तो उसकी जांच कर कार्रवाई करेंगे।

-बनवारी सिंह, डीपीआरओ हाथरस।


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