कठिन डगर पर ठिठक रहे नौनिहालों के कदम
जिले के कई ऐसे परिषदीय स्कूल जहां बचों के आवागमन के रास्ते हैं खतरनाक खतरे में बचपन बारिश के दिनों में खराब रास्तों पर बचों के चोटिल होने का बना रहता है डर गांव के रास्तों को दुरुस्त कराने की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान की है
जागरण टीम, हाथरस : ग्रामीण अंचल में संचालित बेसिक शिक्षा परिषद के तमाम विद्यालय ऐसे हैं, जहां उनके आने-जाने का रास्ता खतरनाक है। ठीक नहीं होने के कारण विद्यार्थियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कहीं मेड़ तो कहीं बंबे की पटरी से होकर स्कूलों तक विद्यार्थी पढ़ने के लिए पहुंचते हैं। बरसात के दिनों में विद्यार्थियों के चोटिल होने का खतरा बना रहता है।
स्कूल पहुंचने के लिए बंबा की पटरी
शहर से सटे आवास विकास कालोनी के निकट ही पूर्व प्राथमिक विद्यालय अइयापुर है। इसी विद्यालय में प्राथमिक विद्यालय की कक्षाएं चलती हैं। इस विद्यालय में नगला मियां, सीमा उपाध्याय नगर के अलावा अइयापुर क्षेत्र के गरीब परिवार के बच्चे पढ़ते है। प्राथमिक विद्यालय में 55 व पूर्व माध्यमिक विद्यालय में 15 विद्यार्थियों का नामांकन है। अइयापुर के विद्यार्थियों को विद्यालय पहुंचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि विद्यालय तक पहुंचने के लिए बंबे की पटरी पर होकर जाना पड़ता है। विद्यालय की कक्षाएं भी जर्जर हैं। जिसके बारे में शिक्षकों के द्वारा अधिकारियों को बताया जा चुका है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकाला जा सका। बरसात के दिनों में फिसलन हो जाने पर बच्चे बंबे में गिरकर चोटिल हो जाते हैं।
खेत की मेड़ बनी सहारा
सहपऊ क्षेत्र के गांव नगला रामी का प्राथमिक विद्यालय ग्राम से लगभग 100 मीटर दूर खेतों में बना हुआ है। स्कूल की कुल छात्र संख्या 35 है जिसमें लगभग 20 बच्चे रोजाना पढ़ने के लिए आते हैं। स्कूल को जाने के लिए बच्चों को खेत की पतली पगडंडी पर होकर गुजरना पड़ता है। पगडंडी पर छोटे बच्चे अक्सर गिरकर घायल हो जाते हैं। बरसात के दिनों में पानी भरने से और भी हालत खराब हो जाते हैं। गांव के लोगों का कहना है कि ग्राम प्रधान से इस रास्ते को बनवाने के लिए कई बार कहा लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया। प्राथमिक विद्यालय ब्लॉक से दूर होने के कारण अध्यापक भी वहां लेट पहुंचते हैं और समय से पूर्व ही स्कूल से जाने की फिराक में रहते हैं। पोखर के सहारे रास्ता, बच्चे परेशान
सादाबाद के गांव मई की नगरिया में स्थित प्राथमिक विद्यालय गांव से बिल्कुल हटकर है। पोखर के सहारे विद्यालय बना हुआ है। पोखर में बरसात के दिनों में पानी अधिक बढ़ जाने पर बच्चों के घायल होने का डर बना रहता है। इसके साथ ही जहरीले कीड़े और सर्प आदि निकलने का डर रहता है। विद्यालय में करीब 90 विद्यार्थियों का नामांकन है, लेकिन 10 से 15 विद्यार्थी ही विद्यालय पहुंचते हैं। गंदे पानी में से होकर गुजर रहे
मुरसान के गांव दाऊदा बंका प्राथमिक विद्यालय और पूर्व माध्यमिक विद्यालय का हाल बेहाल है। बच्चों को पढ़ने जाने के दौरान गंदे पानी में से होकर निकलना पड़ता है। वहीं प्रशानिक अधिकारियों का अभी तक कोई ध्यान नहीं है। बच्चों ने बताया कि पढ़ाई के दौरान मच्छर काटते हैं। गांव दाऊदा बंका के प्रधान बच्चू सिह ने बताया कि कई बार उच्च अधिकारियों से शिकायत की मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। इनका कहना है
विद्यालय स्तर पर होने वाली शिक्षा समिति की बैठकों में ग्राम प्रधान को निर्देश दिए जा चुके हैं कि जिन विद्यालयों में विद्यार्थियों के जाने का सरल रास्ता नहीं है, वहां पर व्यवस्था कराकर रास्ते बनवाए जाएं।
हरीशचंद्र, बीएसए, हाथरस
विद्यार्थियों से बातचीत
विद्यालय तक जाने के लिए खेत में बनी पगडंडी का सहारा लेना पड़ता है। इसके अलावा कोई और दूसरा रास्ता नहीं है। विद्यालय तक आने जाने में परेशानी होती है। कई बार शिक्षकों से इस बारे में कहा जा चुका है।
भावना, कक्षा पांच,नगला रामी, विद्यालय। विद्यालय तक जाने के लिए बंबे की पटरी से होकर गुजरना पड़ता है। पूर्व में कई बच्चे बंबे में गिरकर चुटैल हो चुके हैं। दूसरे रास्ते की व्यवस्था होनी चाहिए।
भावना, कक्षा सात, पूर्व माध्यमिक विद्यालय अइयापुर। विद्यालय के कक्षों के अलावा कार्यालय में सीमेंट प्लास्टर छतों से टूटकर गिरता है। बच्चों को आने जाने के लिए बंबे की पटरी का सहारा लेना पड़ता है। कई बार इस बारे में अधिकारियों को बताया जा चुका है।
गुंजन गुप्ता, सहायक अध्यापिका,पूर्व माध्यमिक विद्यालय अइयापुर। विद्यालय के कक्षों की स्थिति ठीक नहीं है, शौचालय खराब पड़ा हुआ है। विद्यालय आने का रास्ता बंबे की पटरी से होकर गुजरता है। बच्चे पूर्व में बंबे में गिरकर घायल हो चुके हैं।
रामवती, अभिभावक।