सौहार्द की चादर ओढ़ गुजरा छह दिसंबर
जिले में चप्पे-चप्पे पर चौकसी और फोर्स की चौकन्नी निगाहों के बीच चेकिंग की औपचारिकता भी ब्लर्ब - विवादित ढांचा विध्वंस की बरसी से उबरा समाज न कोई जुलूस-प्रदर्शन और न ही गम-गुस्से का इजहार
जागरण संवाददाता, हाथरस : अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस की बरसी की यादों को अतीत के कूड़ेदान में डाल दिया गया है। पुलिस प्रशासन चेतावनी देने के बाद भी भले ही चौकन्ना नजर आया, मगर समाज ने बता दिया कि अब इसकी जरूरत नहीं है। छह दिसंबर 1992 की घटना की याद दिलाने वाला दिन इस बार सौहार्द की चादर ओढ़ चुपके से गुजर गया।
अयोध्या प्रकरण पर सुप्रीम फैसले से पहले हर साल छह दिसंबर को काला दिवस और विजय दिवस मनाया जाता रहा है। इसी के मद्देनजर शुक्रवार को प्रशासन ने विशेष एहतियात बरता। जुलूस-प्रदर्शन पर पहले ही रोक लगा दी थी। शुक्रवार सुबह से ही फोर्स चप्पे-चप्पे पर तैनात रही। अफसर भी भ्रमण करते रहे। जगह-जगह चेकिंग अभियान भी चला।
दोपहर में जामा मस्जिद पर जुमे की नमाज के दौरान पुलिस फोर्स तैनात रही। संवेदनशील और अति संवेदशील स्थानों पर भी पहले से ही फोर्स लगा दिया गया था। थानों को पीएसी भी मुहैया कराई गई थी। सादाबाद, सहपऊ, मुरसान, सिकंदराराऊ के अलावा हसायन और सासनी आदि क्षेत्र में भी यह दिन सामान्य तरीके से बीता। फोर्स की मौजूदगी ही छह दिसंबर की यादें दिला रही थी, वरना आम लोग तो इसे भुला चुके हैं। सोशल साइट्स पर पैनी नजर
पुलिस की एक टीम और खुफिया एजेंसी पूरे दिन सोशल साइट्स पर नजर बनाए हुए थी। डर था कि कहीं कोई माहौल खराब करने की कोशिश न कर दे। रेलवे स्टेशन पर भी कड़ी सुरक्षा
छह दिसंबर को देखते हुए रेलवे स्टेशन पर भी सुरक्षा व्यवस्था चौकस रही। यहां जीआरपी ने यात्रियों के सामान, बैग आदि की चेकिग की। ट्रेनों में भी पुलिसकर्मी चेकिग करते नजर आए। वर्जन-
छह दिसंबर को देखते हुए पुलिस प्रशासन सतर्क रहा। जिले भर में पुलिस अति संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त करती रही। अधिकारी भी दिनभर भ्रमण पर रहे। शहरवासियों ने सौहार्द का परिचय दिया जो काबिले तारीफ है।
-सिद्धार्थ शंकर मीना, एसपी हाथरस