10 साल बाद भी हरे हैं मुंबई हमले के जख्म
खौफनाक यादें : 26/11 हमले में चंदपा के परिवार ने खोया था घर का चिराग आतंक की बरसी हमले में खो चुके बेटे की याद में लगाया है आम का पेड़ आतंकवाद के सफाया होने पर मिलेगी परिवार को संतुष्टि
जागरण संवाददाता, हाथरस : कहने को तो दस साल बीत गए, लेकिन आज भी आतंकवाद का जिक्र आते ही चंदपा के इस परिवार की आंखों में खून उतर आता है। इसका कारण है 26/11 मुंबई हमला, जिसमें मुंबई स्टेशन पर आतंकी कसाब की गोली से इस परिवार का चिराग बुझ गया था। परिवार के लोगों का कहना है कि जब तक आतंकवाद का सफाया नहीं होगा, उन्हें संतुष्टि नहीं मिलेगी।
फ्लैश बैक : आगरा रोड एनएच-93 स्थित गांव चंदपा निवासी विजय कुमार शर्मा नेवी में तैनात हैं तथा परिवार मुंबई के साथ रहता है। उनके बड़े भाई कालीचरन उर्फ करुआ गांव में ही पैतृक मकान में रह रहे हैं। 26 नवंबर 2008 को मुंबई स्टेशन पर हुए आतंकी हमले में इस घर को भी गहरा जख्म दिया था। उस दिन विजय कुमार परिवार के साथ मुंबई से गांव आ रहे थे। छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन पर उनके साथ पत्नी व बेटा नीतेश भी था, जो उस वक्त 16 साल का था। वे लोग ट्रेन का इंतजार कर रहे थे तभी दो आतंकियों ने ताबड़तोड़ फाय¨रग शुरू कर दी। टर्मिनल पर हुए हमले में कुल 58 लोग मारे गए थे, जिसमें नीतेश भी शामिल था। पूरे हमले में 166 लोगों की मौत हुई थी। नीतेश के पिता विजय शर्मा के अनुसार आतंकी अजमल आमिर कसाब कुछ कदम की दूरी पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाए जा रहा था। वे बेटे को लेकर भाग रहे थे कि तभी एके-47 से निकली एक गोली ने नीतेश को जा लगी। नीतेश की मौत से विजय बदहवास हो गए। काफी देर तक वे बेटे के शव को गोदी में लेकर प्लेटफार्म पर ही बैठे रहे।
फांसी पर बांटी थी मिठाई : चार साल बाद 21 नवंबर 2012 को अजमल आमिर कसाब को फांसी दी गई। पूरे देश के साथ गांव चंदपा के लोगों ने इस पर संतुष्टि जताई थी। नीतेश के बाबा धनपाल उस दौरान ¨जदा थे। उन्होंने इस मौके पर गांव में मिठाई बांटी थी। धनपाल ने 2008 में ही नाती की याद में घर पर आम का पेड़ लगाया था, लेकिन कुछ सालों बाद वह सूख गया। उन्हें फिर से पेड़ लगाया तथा उसे सींचा। डेढ़ साल पहले उनकी मृत्यु हो चुकी है। अब कालीचरन व उनका परिवार इस पेड़ की देखभाल करता है। आतंकवाद का खात्मा करे सरकार
नीतेश के चाचा कालीचरन उर्फ करुआ की गांव में मिठाई की दुकान है। कालीचरन कहते हैं कि जब भी 26 नवंबर आता है, नीतेश की यादें ताजा हो जाती हैं। वे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय से आतंकवाद को देख रहे हैं। इसने देश को काफी नुकसान पहुंचाया और नेताओं ने केवल अपना स्वार्थ देखा। कालीचरन कहते हैं कि केंद्र सरकार को इस ओर कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। यह आतंकवाद देश की एकता-अखंडता को नुकसान पहुंचा रहा है।