संवैधानिक अधिकारों की सीख दे रहे सुभाष
कोरोना संक्रमण कॉल में वाट्सएप ग्रुप के जरिये बता रहे संवैधानिक और मौलिक अधिकार जनजागरण किताबी ज्ञान से अलग नौनिहालों को बता रहे भारत के संविधान के बारे में लोकतंत्रात्मक शासन व्यवस्था में लोगों को कर्तव्य बोध भी करा रहे
केसी दरगड़, हाथरस : आजाद भारत में सांस लेने वालों को स्वतंत्रता संग्राम की अहमियत बताना मुश्किल काम है। नए दौर के स्कूली बच्चों को लोकतंत्रात्मक शासन व्यवस्था और संविधान की खूबियां समझाना और भी मुश्किल है, मगर इस मुश्किल काम का बीड़ा उठाया है सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद शिक्षक बने सुभाष प्रताप सिंह ने। वे गरीब बच्चों को अपने संविधान और उसमें दिए अधिकारों के बारे में सजग कर रहे हैं, ताकि वे बड़े होकर अच्छे नागरिक बन सकें और अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ सकें। चूंकि इन दिनों स्कूल बंद है सो वाट्सएप ग्रुप बनाकर संविधान से जुड़ी जानकारी साझा करते हैं और उनपर सवाल-जवाब भी करते हैं।
परिचय : सुभाष प्रताप सिंह मूल रूप से बुलंदशहर के तहसील खुर्जा के गांव नयावास के निवासी हैं। वे सेना में हवलदार के पद पर रहे। सेना में नौकरी के दौरान ही उन्होंने बीएड की परीक्षा पास कर ली थी। वे 31 मार्च 2009 को सेना से रिटायर हो गए। 2011 में टेट की परीक्षा पास की। इसके बाद 2015 में बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के पद पर नौकरी शुरू की। तभी से सासनी ब्लॉक के गांव सांदलपुर में प्राथमिक विद्यालय में तैनात हैं। बच्चों को संविधान का ज्ञान :
सासनी के गांव सांदलपुर के प्राथमिक विद्यालय में 183 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। वे इन बच्चों को गणित, विज्ञान व अंग्रेजी के अलावा भारत के संविधान की बारीकियां भी बताते हैं। संविधान की प्रस्तावना से लेकर उसमें दिए गए अधिकारों के बारे में बताते हैं। उन्होंने बच्चों को अनुसूची में दर्ज 22 भाषाओं के बारे में भी बता रखा है। संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार के साथ नागरिकों के कर्तव्य की सीख भी देते हैं। वे बच्चों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सबसे जरूरी बताते हैं। संविधान की प्रस्तावना, मूल अधिकारों के साथ जरूरी बातों पर मौखिक के साथ लिखित टेस्ट भी लेते हैं ताकि उन्हें याद रहे। सुभाष का मानना है कि बच्चे अपने संविधान के बारे में ठीक से जानेंगे-समझेंगे तो वे अपने अभिभावकों को भी जागरूक करेंगे। लॉकडाउन में भी जारी है ज्ञान
लॉकडाउन में ऑनलाइन जहां बच्चे गणित, विज्ञान और अंग्रेजी की शिक्षा ले रहे हैं, वहीं इस दौरान संविधान का पाठ भी पढ़ा रहे हैं। बच्चे उनके सवालों के जवाब वाट्सएप ग्रुप पर दे रहे हैं। वे वीडियो कॉल करके भी बच्चों को समझाते हैं। उनकी इच्छा यह है कि उनका स्कूल उच्च प्राथमिक स्तर का हो जाए ताकि यह ज्ञान कक्षा आठ तक के बच्चे हासिल कर सकें।