मंदिरों पर सन्नाटा मगर घरों में रौनक
मां कात्यायनी की धूमधाम से की गई पूजा आरती में जुट रहा पूरा परिवार
संवाद सहयोगी, हाथरस : वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर छठवें दिन भी मंदिरों में सन्नाटा पसरा रहा मगर घरों में मां कात्यायनी की पूजा-आरती की धूम रही। पूरा परिवार मां की पूजा और आरती में शामिल हो रहा है। इससे घरों का माहौल बदल गया है।
नवरात्र के छठवें दिन साधक का मन आज्ञा चक्त्र में स्थित होता है। योगसाधना में इस चक्त्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्त्र में स्थित मन वाला साधक माँ कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व निवेदित कर देता है। परिपूर्ण आत्मदान करने वाले ऐसे भक्तों को सहज भाव से माँ के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं।
माँ कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। भगवान कृष्ण को पतिरूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा कालिन्दी-यमुना के तट पर की थी। ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। माँ कात्यायनी की भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है।
नवरात्र में सोमवार के दिन मंदिरों पर सबसे अधिक भीड़ रहा करती थी मगर इस बार सन्नाटा पसरा हुआ है। भक्तों ने घरों में ही मां की आराधना कर महामारी से बचाने की गुहार लगाई। माता के इस स्वरूप की पूजा करने से सांसारिक कष्टों और भय से मुक्ति मिलती है। शुभदायक फल के साथ मन को एकाग्रता प्रदान करने वाली हैं। तमाम लोगों ने व्रत रखकर महिला व पुरुष श्रद्धालुओं ने दुर्गा सप्तशती का पाठ किया। उधर देवी मंदिरों में माता की पूजा-अर्चना सुबह व शाम को आरती पुजारियों ने की। शहर के मां चामुंडा, बौहरे वाली देवी आदि मंदिरों पर दर्शनों के लिए लालायित रहने वाले लोग भी घरों से ही माता को याद कर रहे हैं।
सिकंदराराऊ : चैत्र नवरात्र के छठवें दिन यहां भी मां कात्यायनी की पूजा अर्चना की गई। घर-घर में अज्ञारी करके मां भगवती से विश्व में आई दैवीय आपदा से रक्षा की कामना की। घर-घर में मां की आरती कर के उन्हें मनाया गया। नगर के सिद्धपीठ पथवारी माता मंदिर, चामुण्डा माता मंदिर , काली माता मंदिर आदि देवी मंदिरों में पुजारियों ने मां का भव्य श्रृंगार किया।