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वन विभाग के 30 कर्मियों को सेवा समाप्ति का नोटिस

गलत तरह से विनियमितीकरण के बाद स्थाई सेवा पाने का आरोप कार्रवाई -इसी आरोप में बर्खास्त वनकर्मी ने की आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत -डीएफओ ने नोटिस देकर कर्मियों से फिलहाल मांगा स्पष्टीकरण

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Mar 2019 08:43 AM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2019 08:43 AM (IST)
वन विभाग के 30 कर्मियों को सेवा समाप्ति का नोटिस
वन विभाग के 30 कर्मियों को सेवा समाप्ति का नोटिस

संवाद सहयोगी, हाथरस : वन विभाग में कार्यरत 30 कर्मियों पर गलत तरह से नौकरी पाने का आरोप है। आइजीआरएस पोर्टल पर शिकायत के बाद डीएफओ ने सभी कर्मियों को नोटिस देकर स्पष्टीकरण देने को कहा है। डीएफओ के मुताबिक जांच में आरोप सही पाए जाने पर इनकी बर्खास्तगी की कार्रवाई की जाएगी। फर्जीवाड़ा से पाए प्रमाणपत्र :

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वर्ष 2001 में वन विभाग के दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को नियमित किया गया था। दैनिक वेतनकर्मी होने के प्रमाणपत्र के आधार पर यह विनियमितीकरण हुआ था। इन कर्मियों का हर रेंज से रोजाना रिकॉर्ड तैयार होता है। उनका बिल तैयार किया जाता है, जिसे कैश बुक में चढ़ाया जाता है। वाउचर नंबर भी दिया जाता है। इसके आधार पर भुगतान होता है। आरोप है कि बिना वाउचर नंबर व अन्य रिकॉर्ड चेक किए गलत तरीके से प्रमाण पत्र जारी कर दिए तथा इस आधार पर कर्मचारियों को स्थाई व वेतन भोगी कर दिया गया। सर्विस के बीच अंतराल से बढ़ी मुश्किल

साल 1991 से कार्यरत दैनिक वेतन कर्मियों को साल 2001 में नियमित किया गया था। शर्त यह थी कि कर्मचारियों की सर्विस में कोई अंतराल नहीं होना चाहिए। कर्मचारियों ने प्रमाणपत्र देकर कहा कि वह 1991 से लगातार ड्यूटी कर रहे हैं। उनकी सेवा में कोई अंतराल नहीं है, जबकि हकीकत में कर्मचारी सेवा के बीच कई-कई महीने तक गैरहाजिर रहे थे। कुछ तो दूसरी जगह नौकरी भी करने लगे थे। वहीं कुछ कई महीने नौकरी करने के बाद वापस आ गए थे। शुरुआती जांच में सेवा में अंतराल होने की बात सामने आई है। बर्खास्त कर्मचारी की

शिकायत से खुला राज

दरअसल फर्जी तरीके से नौकरी पाने के आरोप में वन विभाग के वन रेंजर वाईके तिवारी को बर्खास्त कर दिया गया था। वाईके तिवारी ने आइजीआरएस पोर्टल पर शिकायत करते हुए विभाग के 49 कर्मियों पर भी इसी तरह फर्जीवाड़ा कर नौकरी पाने का आरोप लगाया और सभी को नौकरी से बर्खास्त करने की मांग की। तिवारी की शिकायत के बाद विभाग ने मामले की जांच शुरू की। 49 कर्मियों में से कुछ रिटायर हो चुके हैं और कुछ का ट्रांसफर हो चुका है। इनमें से केवल 30 कर्मचारी ही वर्तमान में कार्यरत हैं। शिकायत के बाद मची खलबली

फर्जी तरीके से विनियमितीकरण के मामले में शिकायत के बाद से विभाग में खलबली मची हुई है। वन विभाग के अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं। हाल ही में कर्मचारियों ने विभागीय बाबू को नोटिस जारी करने पर जान से मारने की धमकी दी थी। कर्मचारी किसी तरह इस मामले में बच निकलने की राह तलाश रहे हैं। वर्जन-

30 कर्मियों को नोटिस दिया गया है। सभी से स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। कर्मचारियों पर गलत तरह से स्थाई सेवा पाने का आरोप है। मामले की जांच की जा रही है।

-मुकेश कुमार, डीएफओ हाथरस

37 संविदा कर्मियों को सता

रहा है नौकरी जाने का डर

फोटो- -सात महीने से नहीं मिल रहा था संविदा कर्मचारियों को मानदेय

-अब सेवा समाप्ति की जानकारी होने पर डीएम से लगाई गुहार संवाद सहयोगी, हाथरस : स्वास्थ्य विभाग में तैनात 37 संविदा कर्मियों को पिछले सात माह से वेतन नहीं मिला है। वे आर्थिक रूप से परेशान हैं। बुधवार को संविदा कर्मियों ने जिलाधिकारी कार्यालय पर एक पत्र दिया और वेतन दिलाने की गुहार लगाई। संविदा कर्मियों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग उन्हें हटाने की तैयारी कर रहा है।

पिछले साल आउट सोर्सिग के आधार पर विभिन्न पदों पर 37 संविदा कर्मियों की तैनाती विभिन्न सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर हुई थी। तैनाती हो जाने के सात माह बाद भी उन्हें वेतन अभी तक नहीं दिया गया है। बुधवार को डीएम कार्यालय पर दिए प्रार्थना पत्र में संविदा कर्मियों ने कहा है कि लखनऊ की एक एजेंसी के माध्यम से उनकी तैनाती हुई थी। पिछले सात माह से निरंतर कार्य कर रहे हैं लेकिन अब उन्हें हटाने की तैयारी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर रहे हैं। डीएम से मिलकर संविदा कर्मियों ने नवीनीकरण कराने और वेतन दिलाने की गुहार लगाई है। पत्र देने वालों में सत्यप्रकाश, बोबी शर्मा, सौमेश कुमार, कृष्ण कन्हैया, विमल कुमार, शरद कांत नंदा, अनिल कुमार, मधुवाला, शालिनी ठाकुर, प्रमोद कुमार, ममता देवी, वीरेश प्रताप सिंह, जितेंद्र कुमार आदि मौजूद रहे।


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