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तालों में रैन बसेरा, फाइलों में 'सवेरा '

फोटो- 2 से 6 8 9 से 12 (जागरण पड़ताल) सिर्फ कलक्ट्रेट व नगर पालिका में जलते मिले अलाव 30 जगह जलाने का दावा हकीकत रैन बसेरे बंद होने से खुले में रात बिताने को मजबूर गरीब और लाचार लोग सरकारी इमदाद में कंबल पाने के लिए गरीबों को करना होगा इंतजार

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Dec 2019 12:42 AM (IST)Updated: Wed, 25 Dec 2019 12:42 AM (IST)
तालों में रैन बसेरा, फाइलों में 'सवेरा '
तालों में रैन बसेरा, फाइलों में 'सवेरा '

जागरण संवाददाता, हाथरस : शीतलहर दिन में हाड़ कंपा दे रही है, मगर रात में बेघरबार गरीबों को कड़ाके की ठंड में भी खुले में रात गुजारनी पड़ रही है, क्योंकि रैन बसेरा चालू करने और अलाव जलवाने के आदेश सिर्फ फाइलों तक सीमित हैं। तस्वीरें गवाह हैं। मंगलवार को दोपहर के वक्त अलाव उन्हीं स्थानों पर जलते मिले जहां अफसर बैठते हैं। नगर पालिका के अलावा डीएम दफ्तर कलक्ट्रेट में अलाव जरूर दिखा। आम लोगों के लिए तमाम स्थानों पर अलाव नदारद थे। और तो ओर रात में अलाव जलाने का दावा भी हवा-हवाई साबित हुआ। गरीब तबके के लोग खुद लकड़ी का इंतजाम कर अलाव जलाकर ठंड दूर करने में जुटे रहते हैं। दावा रैन बसेरों का भी किया गया था मगर दोनों रैन बसेरों में मंगलवार को दिनभर ताले लगे रहे। यह सब मंगलवार को दैनिक जागरण की पड़ताल में सामने आया। सीन- एक

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समय- दोपहर करीब 12 बजे- स्थान नगर पालिका परिसर। सरकारी अलाव पर यहां के सिक्योरिटी गार्ड और अन्य कर्मचारी हाथ सेक रहे थे। पास में बना रैन बसेरे पर ताला लटका था। पूछने पर बताया कि दिन में यहां रुकने कोई नहीं आता। रात में चार, पांच ही गरीबों के ठहरने की क्षमता है जिन्हें शाम को भोजन भी कराते हैं। ज्यादा लोग आते हैं तो उनको रोडवेज बस अड्डे पर बनाए गए रैन बसेरे में भेज देते हैं, जहां ज्यादा रुकने की व्यवस्था पालिका प्रशासन की ओर से ही की गई है। सीन-दो

समय-दोपहर 12 बजकर 15 मिनट। स्थान- तालाब चौराहे। यातायात व्यवस्था को लगाए गए चार-पांच यातायात पुलिस के ठिठुरते जवान। आसपास ही अलाव की तलाश में असहाय और गरीब अलाव की तलाश में यहां देखे गए। मगर दूर-दूर तक कोई व्यवस्था नहीं। नगर पालिका का दावा है कि यहां अलाव शाम को जलता है।

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सीन- तीन

समय-दोपहर 12 बजकर तीस मिनट। स्थान- घास की मंडी। सड़क किनारे अलाव लगाकर हाथ सेकते मजदूर। पूछने पर बताते हैं कि हुजूर, यहां सरकारी अलाव नहीं जुगाड़ से लकड़ी जुटाकर हाथ सेकते हैं। सरकारी अलाव तो नेताजी के घर के बाहर लगता है। यहां तो सालों से अलाव नहीं लगा।

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सीन- चार

दोपहर एक बजे रोडवेज बस अड्डा। यहां दो जगह अलाव लगता है, मगर दिन में अलाव के लिए लकड़ी नहीं आती है। शाम को अलाव तब लगता है जब मुसाफिर यहां से निकल चुके होते हैं। यानी रात आठ बजे से लेकर नौ बजे अलाव लगता है। बस अड्डे पर एक रैन बसेरा भी जिस पर दिनभर ताला लटका रहता है। गरीबों का दर्द भूले समाजसेवी

बीते बरसों में सरकारी अलाव के अलावा कई ऐसे संगठन और समाजसेवी यहां जगह जगह अलाव जलवाते थे, मगर उन्हें गरीबों का शायद ख्याल नहीं है। कंबल के लिए करें इंतजार

शासन के निर्देश पर हाथरस में कंबल खरीदने का आदेश एक महीने पहले ही हो गया। मगर प्रशासनिक अधिकारी यहां कुछ देर से जगे हैं। इसलिए कंबल खरीद का आर्डर देर से हो सका। दावा किया जा रहा है कि बुधवार को करीब पांच हजार कंबल मिल जाएंगे। कंबल खरीद के लिए पूरे 20 लाख रुपये का बजट आवंटित हो चुके हैं। इनकी सुनो

हाथरस नगर के 30 स्थानों पर शाम को अलाव जलाए जा रहे हैं। हर अलाव के लिए 40 किलो लकड़ी आवंटित है। रैन बसेरे भी दो बनाए गए हैं। तीसरा रैन बसेरा बनाने के स्टेशन पर जगह चाही थी जो नहीं मिल सकी।

डॉ. विवेकानंद गंगवार, ईओ हाथरस --------------- सुबह से ही लुढ़का पारा, बढ़ी गलन दोपहर में सूरज निकला, मगर गलन से नहीं मिली राहत

जासं, हाथरस : मंगलवार की सुबह से ही गलन भरी ठंडक थी। सुबह से ही पारा लुढ़का रहा। मंगलवार को न्यूनतम तापमान लुढ़ककर पांच डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। इससे दिनभर लोगों को गलन महसूस हुई।

दोपहर तक सूर्यदेव के दर्शन नहीं हुए। दिन में अधिकतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस रहा। हालांकि ठिठुरती सर्दी में वही लोग निकले जिन्हें ड्यूटी पर जाना था। दोपहर करीब दो बजे सूर्यदेव के दर्शन हुए तो सरकारी दफ्तरों के कर्मचारी धूप सेंकने दफ्तर से बाहर आ गए। विकास भवन हो या नगर पालिका, कलक्ट्रेट हो रोडवेज बस अड्डा, हर जगह कर्मचारी धूप लेने के लिए काफी देर तक कामकाज छोड़कर बाहर खड़े रहे। बाजारों में ठंड के कारण बाजारों में ग्राहक कम दिखे। टेंपो भी सवारियां तलाशते नजर आए। बसें खाली खाली सी दौड़ती हुई नजर आईं। कोहरे में हादसे रोकने के लिए

सड़कों पर बनाई सफेद पट्टंी

कोहरे को देखते हुए पीडब्ल्यूडी की ओर से हाईवे और अन्य मुख्य मार्गों पर सफेद पेंट से सड़क की मध्य सीमा पर पट्टंी बनाई गई ताकि घने कोहरे में वाहन चालकों को सड़क की सीमा दिखती रहे। अभी तक कई मुख्य मार्ग पर संकेतक की व्यवस्था नहीं थी। कोहरे को देखते हुए ही संकेतकों की व्यवस्था की जा रही है।


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