रात में दो घंटे और बढ़ी बिजली कटौती, एसई ने लिखा पत्र
बिजली उत्पादन की कमी के चलते हो रहा है ऐसा नान टीटीजेड एरिया सासनी व सिकंदराराऊ के ग्रामीण क्षेत्र पर अधिक असर।
जासं, हाथरस : पूरे प्रदेश में बिजली के कम उत्पादन का असर जनपद की आपूर्ति पर पड़ रहा है। बिजली की कटौती में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अब चार घंटे से बढ़ाकर छह घंटे कटौती कर दी गई है। इससे ग्रामीण क्षेत्र पर सबसे अधिक असर पड़ रहा है।
कोयला की कमी के चलते पूरे प्रदेश में उत्पादन इकाइयों में बिजली का उत्पादन कम हो गया है। लगातार यूनिटें बंद होती जा रही हैं। इससे सप्लाई प्रभावित होने लगी है। हाथरस जनपद में आगरा और मथुरा ग्रिड से सप्लाई होती है। शहर में 24 घंटे का शेडयूल है, जबकि कस्बा व देहात में 18-20 घंटे आपूर्ति देना अनिवार्य है। फिलहाल शहरी क्षेत्र में राहत है, लेकिन देहात क्षेत्र की बिजली कटौती अधिक हो रही है। इसमें सासनी, सिकंदराराऊ, हसायन, सलेमपुर, पुरदिलनगर के नान टीटीजेड एरिया (गैर ताज ट्रपोजियम एरिया) भी शामिल हैं। यहां पर 18-20 घंटे में सिर्फ 12-14 घंटे बिजली मिल रही है। पहले यहां पर 14-16 घंटे बिजली मिल रही थी। सबसे अधिक कटौती रात के समय हो रही है।
अधिशासी अभियंता तरनवीर सिंह ने बताया कि रात के समय 18 घंटे के शेड्यूल में छह घंटे तक बिजली की कटौती हो रही है। इससे ग्रामीण क्षेत्र में आपूर्ति नहीं हो पा रही है। अधीक्षण अभियंता की ओर से लखनऊ पत्र लिखा गया है। शासन स्तर पर इस संबंध में सोमवार को मीटिग होने जा रही है।
ईटों पर जीएसटी की दर बढ़ाने पर आपत्ति, ज्ञापन भेजा
जासं, हाथरस : हाथरस जिला ब्रिक एसोसिएशन ने ईटों पर जीएसटी की दर बढ़ाने पर आपत्ति जताई है। इस संबंध में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री को ज्ञापन भेजा है।
इसमें कहा गया है कि भट्ठे में निर्मित लाल ईटों पर दो प्रकार की कर दर वृद्धि की गई है, इसे वापस लिया जाए। ईट निर्माताओं के लिए जीएसटी में वर्तमान में 1.50 करोड़ टर्नओवर तक कंपोजिशन सीमा है, जिसमें एक फीसद कर की दर है। काउंसिल की 45वीं बैठक में बिना आइटीसी लिए कर दर छह फीसद किए जाने का प्रस्ताव है। सामान्य रूप से ईटों पर कर दर पांच फीसद है। जिसे 12 फीसद किए जाने का प्रस्ताव है। दोनों वृद्धि का प्रस्ताव निश्चित है कि उद्योग व जनहित के विरुद्ध है। इसका सीधा प्रभाव ईटों की कीमतों पर पड़ेगा।
एसोसिएशन के महामंत्री कमल गोयल ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण दो साल से ईट उद्योग घाटे में चल रहा है। इससे वित्तीय हालत बिगड़ी हुई है।