'भाई-भाभी के लिए तैयार की थी राजनीतिक जमीन'
-प्रेस कान्फ्रेंस में भावुक नजर आए पूर्व एमएलसी मुकुल उपाध्याय -परिवार से बहिष्कार की बात को नकारा, 'परिवार व रिश्तेदार मेरे साथ'
जागरण संवाददाता, हाथरस : विनोद उपाध्याय व रामेश्वर उपाध्याय के बयान पर मुकुल उपाध्याय ने कहा कि वे बड़े भाई के इशारे पर बोल रहे हैं। परिवार से बहिष्कार की बात को नकारते हुए उन्होंने कहा कि हम छह भाई व दो बहनें हैं। एक-दो के बयान से कुछ नहीं होता। उन्होंने कहा, 'यह पारिवारिक मामला है। इसलिए मैं ज्यादा नहीं बोलना चाहता, लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि परिवार के लोग व रिश्तेदार मेरे साथ हैं।'
बड़े भाई रामवीर उपाध्याय के बारे में पूछने पर कहा कि अब उनके बारे में कुछ नहीं कहना। यदि वे कुछ कहते हैं तो उनकी बात का जवाब दूंगा। रामवीर के बयान कि 'उन्होंने मुकुल को पाला-पोसा, पढ़ाया-लिखाया व विधायक बनाया', पर मुकुल ने कहा कि वे हमेशा भाई-भाभी के लिए समर्पित रहे हैं। उन्हें माता-पिता के रूप में देखा, उनका सम्मान किया तथा एक आज्ञाकारी पुत्र की तरह उनके लिए समर्पित रहे। उन्होंने बड़े भाई के लिए राजनीतिक जमीन तैयार की, मंच सजाया। उनको चुनाव लड़ाया तथा विधायक व मंत्री बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह सभी जानते हैं।
मुकुल ने कहा कि उन्होंने जो किया, वह स्वयं उनका पुत्र भी नहीं कर सकता। इस घटनाक्रम से वे आहत हैं। वे अभी भी भाई का सम्मान करते हैं।
बसपा से निकाले गए
नेताओं के संपर्क में
मुकुल ने स्वीकार किया कि वे अनुशासनहीनता व पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में पूर्व में बसपा से निकाले गए नेताओं के संपर्क में हैं। कहा कि अब तक कई लोगों के फोन आ चुके हैं। केवल हाथरस ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के बसपा पीड़ित लोग उनके संपर्क में हैं। अब बसपा में नहीं जाना
मुकुल उपाध्याय पूरे घटनाक्रम को लेकर दुखी नजर आए। उन्होंने कहा कि वे पार्टी के लिए समर्पित रहे, लेकिन पार्टी ने एक झटके में कठोर निर्णय ले लिया। उन्हें इस तरह के कदम की उम्मीद नहीं थी। बोले कि गाजियाबाद व शिकारपुर से चुनाव लड़ने के दौरान उनसे रुपये नहीं मांगे गए। यदि ऐसा होता वे तभी पार्टी छोड़ देते। अब चाहे कुछ भी हो जाए वे बसपा में वापसी नहीं करेंगे। जन्मदिन के बहाने वसूली
मुकुल उपाध्याय ने कहा कि बसपा में बात-बात पर पैसा मांगा जाता है। कभी बिहार चुनाव तो कभी मध्यप्रदेश चुनाव के नाम पर तो कभी जन्मदिन के नाम पर पैसा मांगा जाता है। बसपा सुप्रीमो केवल पैसे उगाहने का काम करती हैं।