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धान पर फुदका और सैनिक कीट की मार, उत्पादन गिरा

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By JagranEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 12:30 AM (IST)Updated: Sat, 03 Nov 2018 12:30 AM (IST)
धान पर फुदका और सैनिक कीट की मार, उत्पादन गिरा
धान पर फुदका और सैनिक कीट की मार, उत्पादन गिरा

जागरण संवाददाता, हाथरस : इस बार अच्छे मौसम के बावजूद जिले में धान की पैदावार गिर गई है। कीटों की मार से धान की फसल में प्रति एकड़ सात से आठ ¨क्वटल की गिरावट आई है। सैनिक कीट, फुदका कीट और गंधी बग ने फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है। फसल को काटने, पीटने के बाद कम उत्पादन से किसान परेशान हैं। विभागीय अधिकारी इस वर्ष धान की फसल की उत्पादन, गत वर्षों के अपेक्षा पैदावार में कमी या वृद्धि आदि का डाटा तैयार करने में जुट गए हैं। फसल को कुल कितना नुकसान हुआ है। यह जल्द ही स्पष्ट हो जाएगा।

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हाथरस जनपद में धान का रकबा करीब 25 हजार हेक्टेयर है। इसमें सबसे पैदावार 1121 प्रजाति के धान की है। वहीं सुगंधा-4, सुगंधा-5 भी काफी किसान करते हैं। पंत धान, पूसा एक, धान भी सिकंदराराऊ, हसायन, सहपऊ क्षेत्र में किया जाता है। वहीं कुल रकबे के 15 प्रतिशत में साकेत-4, बासमती-370, नरेंद्र धान-359 आदि की पैदावार होती है। इन कीटों ने पहुंचाया नुकसान

फुदका कीट : कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार यह कीट भूरे रंग का होता है। पत्ती और किल्ली के बीच का रस चूसकर यह यह बाली को सुधा देता है। इससे बाली पीली पड़ जाती और धान की गुणवत्ता खराब हो जाती है। बारिश के बाद खेत से पानी की निकासी नहीं हो पाने के कारण यह कीट पैदा हो जाते है।

सैनिक कीट : यह कीट सबसे पहले पत्तियों को चबा लेता है। बालियां काटकर जमीन पर गिरा देता है। जिन खेतों में इन कीटों का झुंड घुस जाते हैं, वहां फसल बर्बाद हो जा रही है। गंधी बग- यह कीट धान की बालियों पर बैठ जाता है और उसका दूध खींच लेता है। इससे बाली सूख जाती है और धान की क्वालिटी खराब हो जाती है।

जिले में धान का कुल रकबा, 25 हजार हेक्टेयर

ब्लॉक, धान का रकबा

सिकंदराराऊ, 13 हजार हेक्टेयर

हसायन, 9 हजार हेक्टेयर

हाथरस, 700 हेक्टेयर

सासनी, 1500 हेक्टेयर

सहपऊ, 1300 हेक्टेयर

मुरसान, 500 हेक्टेयर

सादाबाद, 500 हेक्टेयर किसानों का दर्द

हर साल 60 बीघा धान की फसल करता हूं। पहले एक बीघा में सात से आठ क्विंटल तक धान निकलता था। इस बार केवल चार-पांच बीघा ही उत्पादन हुआ है।

- श्यामवीर, मुरसान धान पर एक तीतुरी जैसे कीट का रोग लगा था। फसल पीली पड़ गई। पिछली साल 20 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार थी, इस बार 12-13 क्विंटल तक रह गई है।

- लखपत ¨सह, ऐंहन धान की पैदावार 20 से 30 फीसद तक कम हुई है। कहीं-कहीं रोग लगने के कारण आधे से ज्यादा फसल बर्बाद हो गई है। इससे भारी नुकसान हुआ है।

महेंद्र ¨सह, अमौसी सिकंदराराऊ 50 बीघा में धान की फसल की थी। इस बार मौसम अच्छा रहा था। बारिश भी अनुकूल थी, लेकिन कई तरह के कीटों ने फसल को नुकसान पहुंचा दिया।

- अनिल यादव, हुसैनपुर सिकंदराराऊ

इनका कहना है

कुछ क्षेत्रों में फुदका, सैनिक कीट ने नुकसान ज्यादा पहुंचाया है। जहां खेतों में बारिश का पानी जमा रहता है और उसकी निकासी नहीं हो पाती, वहां फुदका कीट पैदा हो जाता है। सहपऊ, सादाबाद क्षेत्र में फसल बहुत अच्छी हुई है। इस बार मौसम अनुकूल था। बारिश भी उम्मीद के हिसाब से ठीक हुई है। फसल का उत्पादन गत वर्ष से बढ़ा है।

- इतेंद्र ¨सह, जिला कृषि रक्षा अधिकारी, हाथरस


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