मुफलिसी, लाचारी से टूटी डोरीलाल के जीवन की डोर
सादाबाद के गांव बिलारा में भूख से मौत के बाद जागी ग्रामीणों की संवेदना मदद को बढ़ाया हाथ कड़वा सच प्रशासनिक मदद मिलती तो बच सकती थी घुंघरू मजदूर की जान बेकारी के बावजूद खुद्दारी के चलते किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया
संवाद सूत्र सादाबाद : गरीबी और मुफलिसी की मार से आहत 40 वर्षीय घुंघरू मजदूर डोरीलाल के जीवन की डोर टूट गई। वह खुद्दारी में जीवन व्यतीत करते हुए जिंदगी को अलविदा कह गया। यह सब उसकी पत्नी व छोटे-छोटे बच्चों के सामने हुआ। वह सभी बेबस रहे और अपने परिवार के मुखिया को तिल-तिलकर मौत के नजदीक जाते देखते रहे। मजदूर के परिवार की बेबसी भी देखिए कि घर में कफन व अंतिम संस्कार के लिए भी पैसे नहीं जुट पाए। गांव के सहयोग से अंतिम संस्कार हुआ। प्रशासन की लापरवाही की इंतहा देखिए कि मौत की खबर दैनिक जागरण में छपने के बाद भी शुक्रवार तक वहां न तो कोई सरकारी मदद पहुंची और न ही प्रशासन का कोई नुमाइंदा पहुंचा।
सादाबाद के गांव बिलारा में हिम्मत ¨सह का बेटा डोरीलाल मेहनत मजदूरी कर परिवार की गाड़ी हांक रहा था।
परिवार में पत्नी कौशल्या के अलावा 16 वर्षीय बेटा शिवदत्त, 12 वर्षीय मोहन, नौ वर्षीय पुष्पा, छह वर्षीय नीरू व नेहा व एक साल की अंजली है। इस मजदूर का परिवार जितना बड़ा है, घर में संसाधन उतने ही कम हैं।
पूरा परिवार जमीन के छोटे टुकड़े पर तिरपाल के सहारे गुजर-बसर कर रहा था। डोरीलाल घुंघरू मजदूरी का कार्य करता था। यह काम न मिलने पर वह अन्य तरीके से मजदूरी कर परिवार को पालता था। कुछ दिन पहले डोरीलाल की किस्मत उससे रूठ गई और उसे वायरल ने जकड़ लिया। चंदे के रुपयों से उसका इलाज तो हुआ लेकिन तबीयत ठीक न हो पाई। बीमारी के कारण कई दिन उसे काम नहीं मिला और परिवार के सामने पेट भरने का संकट गहरा गया। अंत्योदय कार्ड पर मिलने वाला राशन डोरीलाल के परिवार की भूख नहीं मिटा सका। कई दिन से परिवार फाकाकशी का शिकार था। परिवार के अन्य लोगों ने आसपास से मदद ली लेकिन डोरीलाल ने यह मदद भी नहीं ली। अतंत: गुरुवार को उसकी मौत हो गई। बेबसी और लाचारी में जान जाने के बाद परिवार के लिए संवेदनाओं की नदियां बहने लगी हैं, लेकिन इन संवेदनाओं का अब क्या फायदा। ग्रामीणों ने गुरुवार को देर रात चंदा करके कफन मंगाया और अंतिम संस्कार कराया। पात्रता सूची में नाम
पर छत नसीब नहीं
इस परिवार को उज्ज्वला गैस योजना के तहत गैस कनेक्शन भी मिल गया है लेकिन जब घर में अनाज न हो यह गैस चूल्हा भी किस काम का। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कौशल्या का नाम लाभार्थियों की सूची में आ गया लेकिन अभी तक आवास नहीं मिला। शायद अब सिस्टम की आंखों से पर्दा हट जाए। वर्जन-
डोरीलाल का परिवार बेहद गरीब है। बड़ा परिवार होने के कारण सरकारी सुविधाएं व ग्रामीणों से मिलने वाली मदद नाकाफी थीं। मैं खुद व ग्रामीण भी परिवार की मदद कर रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास के लिए पात्रता सूची में नाम आ गया था। पूरा गांव ग्रामीण की मौत से स्तब्ध है। परिवार के अन्य सदस्यों की मदद के लिए ग्रामीण जुटे हैं।
-विजय कुमार उर्फ टीटू प्रधान बिलारा।
कुछ दिनों पहले डोरीलाल वायरल की चपेट में आ गया था। इस दौरान उसका मैंने उपचार किया था। खुद दवा खरीदकर दी थी। बीमार होने के बाद डोरीलाल संभल नहीं पाया और लाचारी, भूख से उसकी मौत हो गई। उसके परिवार को अब मदद मिलनी चाहिये।
-मुकेश कुमार, ग्रामीण।
सिस्टम की सुनो
मुझे आज ही मजदूर की मौत के बारे में जानकारी मिली है। भूख से मौत की बात कहना जल्दबाजी होगी। शनिवार को एसडीएम को मौके पर भेजा जाएगा। परिवार को हर जरूरी मदद दिलाई जाएगी।
डॉ. रमाशंकर मौर्य, डीएम, हाथरस