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मनुष्य को होना चाहिए सागर जैसा धैर्यवान

हसायन के गांव बनवारीपुर में चल रही श्रीमद भागवत कथा में बोले देवकीनंदन।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 02:44 AM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 02:44 AM (IST)
मनुष्य को होना चाहिए सागर जैसा धैर्यवान

संसू, हाथरस : हसायन के गांव बनवारीपुर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन नंदोत्सव की धूम रही। इसमें 'हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैयालाल की' भक्ति गीत पर पूरा पंडाल झूम उठा।

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कथा व्यास देवकीनंदन ठाकुर महाराज ने कहा कि जो मानव उद्धार का कार्य न करे तो वह जड़ पेड़ के समान है। मनुष्य को समुद्र जैसा धैर्यवान होना चाहिए। गुरुवार को सुबह नौ बजे गुरु दीक्षा कार्यक्रम होगा।

कथा व्यास ने कहा कि कर्म अच्छा करने वाला ही व्यक्ति संत होता है, चाहे वह गृहस्थ आश्रम में ही क्यों न रह रहा हो। जिस घर में वृद्ध, बालक सभी मेलजोल से रहते हैं वह स्वर्ग से कम नहीं है। उन्होंने युवाओं व युवतियों से अपने जीवन काल में कभी भी बड़ों का अनादर न करने और बालिकाओं को ससुराल में जाकर सेवा भावपूर्ण मन बनाकर रहने को कहा, इससे हमेशा परिवार में सुख शांति बनी रहेगी। कहा कि जिस व्यक्ति को भक्ति धन मिल जाता है उसके सामने वह सभी धन दौलत बेकार साबित होती है। कृष्ण भक्ति वाले व्यक्ति को कभी भी पृथ्वी पर कष्ट नहीं होता। इसके बाद उन्होंने पूतना वध के साथ गोवर्धन की मानसिक रूप से परिक्रमा कराई। उन्होंने गोपियों की कृष्ण भक्ति का भक्तिमय प्रसंग सुनाया।

कथा के पांचवें दिन पूर्व सपा महासचिव व पूर्व ब्लाक प्रमुख सासनी ठाकुर महेंद्र सिंह सोलंकी ने चांदी का मुकुट पहनाकर कथा व्यास देवकीनंदन ठाकुर जी का आशीर्वाद लिया। पूर्व विधायक हाथरस राजवीर सिंह पहलवान, सुरेश प्रताप गांधी, पप्पू एमएलसी ने भी महाराज जी से आशीर्वाद प्राप्त किया। जीवन का परम सत्य है मृत्यु

जासं, हाथरस : हनुमान गली स्थित सती मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिन पं.विशाल वल्लभाचार्य ने प्रभु की बाल लीलाओं का वर्णन किया। कहा कि जिनको काम प्रिय है वे प्रभु की कथा को नहीं सुन सकते मगर जिनको श्याम प्रिय हैं वे अपना सारा काम छोड़कर प्रभु की कथा सुनने को पहुंचते हैं। मानव जीवन का परम सत्य का नाम है मृत्यु। जब हमें पता है कि हमारी मृत्यु निश्चित है, खाली हाथ आये थे और खाली हाथ ही जाएंगे तो क्यों न हम जीवन को धर्म के कार्यों में लगाएं।

कथा व्यास ने कहा हमें भगवान की भक्ति के बिना किसी दिखावे के करनी चाहिए। जब पूतना रूप बदलकर कृष्ण भगवान को मारने आई तो प्रभु ने अपनी आँखें बंद कर ली थीं। उसी प्रकार जब हम किसी भी प्रकार का दिखावा करके भगवान की वंदना करते हैं तो भगवान हमारी वंदना को स्वीकार नहीं करते।

कथा व्यास ने गिरिराज गोवर्धन की कथा सुनाई और बताया कि भगवान ने अपनी कनिष्ठ अंगुली पर गोवर्धन को उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की और इंद्र का मानमर्दन किया। भक्तों ने गिरिराज भगवान की सुंदर झांकी के दर्शन किए। मुख्य आचार्य पं.कृष्ण वल्लभ मिश्र, अजित शर्मा, राकेश अग्रवाल बबलू भैया, टीटू भैया, रवि शास्त्री, अमित भैया, गोल्डी बाबू, मनोज शर्मा मौजूद रहे।


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