मेहंदी से बनाए जा रहे दूल्हा-दुल्हन के चेहरे
फोटो - 2 3 (लाइफ स्टाइल) बदलता ट्रेंड त्योहार और अन्य समारोहों के हिसाब से जयपुरी व अन्य डिजाइनों की मेहंदी की मांग परंपरा -पेड़ की पत्तियां तोड़कर पीसकर लगाते आ रहे हैं लंबे समय से -लगाने के तरीके भी समय के साथ हुए हाईटेक कृत्रिम मेहंदी उपलब्ध
संवाद सहयोगी, हाथरस : मौका चाहे मांगलिक हों, करवाचौथ और हरियाली तीज जैसे त्योहार ही क्यों न हों, हर मौकों पर मेहंदी का क्रेज सर्वाधिक रहता है। मौके के हिसाब से मेहंदी में तरह-तरह की डिजाइन पंसद की जा रही हैं। लगाने के तौर तरीके भी समय के साथ हाईटेक हुए हैं। बाजार में जयपुरी स्टाइल के अलावा शादी के मौके पर दूल्हा व दुल्हन के चेहरे बनाने का जबरदस्त क्रेज है। प्राचीन काल से मेहंदी की परंपरा
हमारे देश में मेहंदी लगाने की प्राचीन परंपरा रही है। पहले मेहंदी के पेड़ से पत्तियां चुनकर उन्हें सिल पर पीसकर लगाते थे। अब कृत्रिम रूप से विभिन्न रसायनों से तैयार ब्रांडेड कंपनियों की मेहंदी उपलब्ध है। महिलाएं और पुरुष बालों को रंगने के लिए भी मेहंदी का प्रयोग करने लगे हैं।
पंरपरा में बदलाव : पहले मेहंदी लगाने के लिए महिलाएं समूह बनाकर बैठती थीं। वहीं अब ब्यूटी पार्लर व अन्य लगाने वालों के पास जाकर आकर्षक डिजाइनों में मेहंदी लगवाती हैं। किशोरी व युवतियों में क्रेज
सुहागिन या नव विवाहिताओं में ही नहीं, किशोरियों और युवतियों में भी मेहंदी लगवाने का जबरदस्त क्रेज है। घरों में महिलाएं तो किसी भी तरह से काम चला लेती हैं पर दुल्हन को सजाने के लिए ब्यूटी पार्लर की मदद लेनी पड़ती है। हर ब्यूटी पार्लर के संपर्क में मेहंदी लगाने के विशेषज्ञ रहते हैं। अवसर और डिजाइन के हिसाब से उनका रेड तय होता है।
रोजगार का साधन मेहंदी :
बाजार में मेहंदी लगाने की मांग बढ़ने के कारण अब बेरोजगार युवाओं और युवतियों के लिए यह रोजगार का अहम साधन बन गई है। इस काम में युवतियों के अलावा युवक भी जुड़े हुए हैं। वे अपने कार्य स्थल के अलावा घरों पर आकर भी मेहंदी लगाते हैं।
जैसी स्टाइल, वैसा चार्ज
स्टाइल, चार्ज
जयपुरी, 100
राजस्थानी,150
बॉंबेकट, 400
अरबियन, 100
मारवाड़ी, 250
नोट-वैवाहिक कार्यक्रमों में मेहंदी लगाने का चार्ज 11 सौ से लेकर 11 हजार रुपये तक है। इनका कहना है
मांगलिक कार्यक्रम सहित पर्वों पर भी मेहंदी लगाई जाती है। इसमें तरह-तरह की स्टाइल है। विशेष आयोजनों पर हाथों में मेहंदी लगाने के लिए एक उत्सुकता बनी रहती है।
शिखा, बसंत बाग दुल्हन को सजाने के लिए विशेष स्टाइल जो डिमांड के अनुसार होती है, बनाई जाती है। इसमें दूल्हा-दुल्हन के चेहरे उभारकर आकर्षक तरीके से बनाकर सजाने की भी मांग है।
-ब्रजमोहन सिंह राणा, दुकानदार