जिल्लत जाए जहन्नुम में तभी चैन की सांस
प्रमोद ¨सह, हाथरस : बाल यौन शोषण जितना शर्मनाक है, उतना ही दुखद। यह समाज की ऐसी विकृति ह
प्रमोद ¨सह, हाथरस :
बाल यौन शोषण जितना शर्मनाक है, उतना ही दुखद। यह समाज की ऐसी विकृति है, जिसको मिटाने के लिए कोई भी कानून तभी कारगर सिद्ध होगा, जब समाज जागेगा। बच्चों को जिल्लत की जिंदगी से बचाने के लिए जज्बे के साथ उठ खड़ा होगा। कोशिश करनी होगी कि पीड़ित बच्चे न सिर्फ न्याय की लड़ाई के लिए मुस्तैदी से खड़े हों, बल्कि यौन शोषण की कोशिश करने वालों को मुंहतोड़ जवाब भी दें। यह काम किसी एक के वश की बात नहीं है मगर किसी न किसी को तो आगे आना ही होगा। इसी सोच के साथ हाथरस जंक्शन के कस्बा मैंडू में स्थित एनएसबीडी पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर ज्ञानेंद्र राजपूत ने मुहिम छेड़ी और अपने यहां बच्चों को जागरूक करने के साथ ही आसपास से भी कोई ऐसा मामला आता है तो पीड़ित की हरसंभव मदद करते हैं।
सीनियर बच्चों की टोली :
डायरेक्टर ज्ञानेंद्र राजपूत ने बच्चों को यौन शोषण के प्रति जागरूक करने के लिए विद्यालय में क्लास 11 व 12 के बच्चों की विशेष टोली बना रखी है। कक्षाओं में गुमसुम व चुपचाप रहने वाले बच्चों पर नजर रखते हैं। शरारती बच्चों को पहले टीम के सदस्य अपने स्तर से समझाते हैं। यदि इसके बाद भी बच्चों की स्थिति में बदलाव नहीं होता है तो विद्यालय के डायरेक्टर को सीनियर बच्चों की टीम अवगत करा देती है।
पुलिस अफसरों का दौरा :
बाल यौन शोषण को लेकर बनाए गए कठोर कानून और दंड के प्रावधान की जानकारी के लिए विद्यालय में समय-समय पर इलाके के थाना प्रभारी व अन्य पुलिस अफसरों की विजिट करायी जाती है। इस दौरान पुलिस अफसर बाल यौन शोषण के खिलाफ न सिर्फ बच्चों को जागरूक करते हैं, बल्कि इसको लेकर बनाए गए नए कानूनों की भी जानकारी देते हैं। संज्ञान में आने वाली आपराधिक घटनाओं की जानकारी देकर बच्चों को आगाह भी करते हैं, ताकि किसी बच्चे का जीवन बर्बाद न हो। इस दौरान पुलिस अफसर बच्चों से बातचीत करके यह जानने की कोशिश करते हैं कि उनके जीवन कहीं ऐसी कोई परिस्थिति तो नहीं आई। यदि आई तो वे उससे कैसे निपटते हैं। इस दौरान बच्चों को पुलिस विभाग द्वारा चलाई जा रहीं हेल्पलाइन 1090 की जानकारी भी दी जाती है। प्रोजेक्टर पर दिखाते हैं मूवी
कॉलेज में बच्चों को बाल शोषण या यौन शोषण के खिलाफ जागरूक करने के लिए हर महीने स्कूल के हॉल में पोजेक्टर के जरिए डाक्यूमेंट्री मूवी दिखाई जाती है। जिससे कि बच्चे मूवी के जरिये कुछ सीख सकें। डायरेक्टर अपने यहां के बच्चों को तो बाल यौन शोषण के खिलाफ जागरूक करते ही हैं, इसके अलावा वे आसपास के स्कूलों में जाकर वहां के बच्चों को भी समझाते हैं। बाल यौन शोषण से पीड़ित बच्चों को न्याय दिलाने में भी उनकी भूमिका सक्रिय रहती है।
बच्चों को करते हैं प्रेरित :
प्रार्थना सभा से पहले शून्य पीरियड के दौरान कक्षाओं में जाकर डायरेक्टर खुद बच्चों से बातचीत करते हैं और उनकी समस्या जानने की कोशिश करते हैं। बच्चों की कहीं भी कोई संदिग्ध गतिविधि नजर आई तो ऐसे बच्चों को चिह्नित कर समझाते हैं। उन्हें प्रेरित करते हैं कि वे अपनी हर बात को शिक्षकों से साझा करें। अगर बच्चे कोई बात बताने में झिझकते हैं तो उनसे कहा जाता है कि कॉलेज में रखी गुप्त पेटिका में वे अपनी परेशानी लिखकर डाल दें। बाल यौन शोषण की बात सामने आने पर कमेटी तत्काल कार्यवाही करती है। समय-समय पर बच्चों के अभिवावकों को भई कॉलेज में मी¨टग के दौरान बुलाकर समझाया जाता है कि वे अपने बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार करें।
शिक्षको की पैनी नजर :
कॉलेज में नियमित शिक्षकों को निर्देश दिए जाते हैं कि वे गुमसुम रहने वाले बच्चों पर नजर रखें। छुट्टी के बाद भी शिक्षक घर जाने वाले बच्चों पर नजर रखते हैं कि रास्ते में उन्हें कोई परेशान न करे। शिक्षक लंच टाइम में भी बच्चों के साथ रहते हैं।
अभिभावकों के घर भी जाकर शिक्षक बातचीत करते हैं ताकि उनके बच्चों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो।