कन्या-लांगुरा नहीं आए तो भूखों को खिलाएंगे
प्रतिज्ञा वायरस की दहशत है हर गली- मोहल्ले में लॉकडाउन में कैद हैं कन्या-लांगुरा इस बार घर-घर शायद ही पहुंचेंगे कन्या लांगुरा आज जिमाए जाएंगे
जागरण संवाददाता, हाथरस : चैत्र नवरात्र के व्रत चल रहे हैं। बुधवार को अष्टमी पर अथवा गुरुवार को नवमी पर लोग व्रत का पारायण करेंगे और और घर-घर कन्या-लांगुरा को जिमाएंगे, मगर इस बार लॉकडाउन का असर कन्या-लांगुरा को जिमाने की परंपरा पर भी पड़ सकता है। गली-मोहल्ले से लेकर कालोनियों तक में बड़ों ने बच्चों को घरों में कैद कर रखा है। बाहर खेलने तक को नहीं जाने दे रहे हैं फिर बेटियों को दूसरों के घर कैसे भेजेंगे। यह सवाल जब गृहणियों के सामने आया तो उन्होंने इसका भी उपाय निकाल लिया। कन्या-लांगुरा को जिमाने वाली महिलाओं ने तय किया है कि कन्या-लांगुरा नहीं आएंगे तो भूखों को हलवा और पूड़ी खिलाएंगे। वर्जन-
यह बात सही है कि कोरोना के डर से जब बडे़ घर से बाहर नहीं निकल रहे तो बच्चे भी नहीं निकलेंगे। ऐसे में तो कन्या-लांगुरा ढूंढ़ पाना मुश्किल होगा। ऐसे में बेहतर यही है कि हम हलवा और पूड़ी भूखे लोगों को खिलाएं।
पारुल बंसल, अलीगढ़ रोड। भूखे को अगर कोई भोजन करा दे तो सबसे बड़ा पुण्य मिलता है। जब कन्या लांगुरा नहीं मिलेंगे तो सब्जी-पूड़ी और हलवा के पैकेट बनाकर वितरण कराना पड़ेगा। तलाश करेंगे कि छोटे बच्चे कन्या-लांगुरा के रूप में मिल जाएं।
रश्मि, चावड़ गेट। ये तय है कि गली-मोहल्लों से बच्चे कम ही निकलेंगे। कन्या-लांगुरों को ढूंढ़ पाना इस बार बेहद मुश्किल हो सकता है। लोगों में दहशत का आलम है। बच्चे भी घर से नहीं निकल रहे। ऐसे में भूखों को भोजन कराना ही बेहतर रहेगा।
जूही बंसल, अलीगढ़ रोड।
हर बार गली-मोहल्लों में नवरात्र की नवमी पर कन्या-लांगुरा का शोरशराबा रहता है। इस बार ये शोरशराबा कम ही सुनाई दे रहा, क्योंकि बच्चे घरों में कैद हैं। अभिभावकों की चिता भी जायज है। सामान की छूट के दौरान बच्चों को खोजेंगे।
राधा गावर, बसंत बाग।