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थाने से लेकर मृतका के घर तक पड़ताल

घटनास्थल पर भी पहुंची सीबीआइ टीम के सदस्य मृतका के घर की छत पर जाकर नजरें दौड़ाईं स्वजन से अलग-अलग पूछताछ।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 01:09 AM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 01:09 AM (IST)
थाने से लेकर मृतका के घर तक पड़ताल

जासं, हाथरस : सीबीआइ की टीमों ने मंगलवार को अपनी जांच को आगे बढ़ाते हुए एक टीम ने थाना चंदपा में डेरा डाला तो दूसरी टीम ने गांव बूलगढ़ी में घटनास्थल और मृतका के घर पर जाकर पड़ताल की। टीम के सदस्यों ने मृतका के घर की छत पर जाकर आरोपित के घर की तरफ भी नजर दौड़ाई। टीम ने मृतका के स्वजन से अलग-अलग पूछताछ की। वे घर में एक घंटे तक रहे। इससे पहले थाना चंदपा में मौजूद स्टाफ से बात की और घटना स्थल पर भी समय बिताया।

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सीबीआइ की टीम 12 बजे थाना चंदपा पहुंची। यहां लगभग चार घंटे तक उन्होंने इंसपेक्टर के अलावा अन्य स्टाफ से पूछताछ की, जबकि दूसरी टीम गांव बूलगढ़ी में घटनास्थल पर पहुंची। इससे पहले भी वह यहां का निरीक्षण कर चुकी है। यहां 25 मिनट रुकने के बाद टीम के सदस्य सीधे मृतका के घर की तरफ चल दिए। वहां उस स्थान पर भी गए जहां पर सीसीटीवी कैमरों का कंट्रोल रूम बनाया गया है। यहीं सामने आरोपितों के घर की ओर भी देखा। यहां आपस में चर्चा करते हुए वे सीधे घर में घुस गए। यहां पर घर वालों से अलग-अलग पूछताछ करने के बाद टीम के सदस्य घर की छत पर भी पहुंचे। वहां इधर-उधर देखने के बाद वे लौट आए। इसके बाद नीचे उतरकर घर वालों से कुछ पूछा और बाहर निकलकर आपस में चर्चा करने लगे। इसके बाद वे सीधे कार से शहर की ओर निकल गए। टीम में डीएसपी सीमा पाहूजा के साथ तीन अन्य महिला सदस्य भी मौजूद थीं। बैंक मैनेजर से दो घंटे तक की पूछताछ

जासं, हाथरस : सीबीआइ की टीम ने सोमवार की देर रात थाना चंदपा में एसबीआइ चंदपा शाखा के मैनेजर को बुलाया। इसी बैंक में मृतका के स्वजन के खाते खुले हैं। पिता का जीरो बैलेंस का खाता पहले से ही है। मृतका के स्वजन के अन्य सदस्यों के खाते खुले हुए हैं। बताते हैं कि सरकार की ओर से 25 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी गई है। वहीं राहुल गांधी की ओर से 10 लाख का चेक सौंपा गया था। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया की ओर से पांच लाख रुपये देने की घोषणा की गई थी। मेडिकल में सीबीआइ की दस्तक, दो डॉक्टर हटाए

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : एएमयू के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में लीव वेकेंसी पर कार्यरत दो डॉक्टरों को हटा दिया गया है। प्रशासन ने यह कार्रवाई ऐसे समय की है जब हाथरस में युवती की हत्या के मामले में जांच कर रही सीबीआइ सोमवार को मेडिकल कॉलेज पहुंची थी। युवती का 14 सितंबर से 28 सितंबर तक मेडिकल कॉलेज में इलाज हुआ था। एक डॉक्टर ने युवती के मेडिकल रिपोर्ट के बारे में मीडिया को बयान दिया था। इसके बाद ये चर्चाओं में थे।

हटाए गए डॉक्टरों में डॉ. उबैद और डॉ. मोहम्मद अजीमुद्दीन मलिक शामिल हैं। पिछले दिनों मेडिकल कॉलेज में कई डॉक्टर कोरोना संक्रमित पाए जाने पर छुट्टी पर चले गए थे। ऐसे डॉक्टरों की कमी पूरी करने के लिए इंतजामिया ने लीव वेकेंसी पर डॉक्टरों की नियुक्ति की थी। इनमें डॉ. मलिक और डॉ. उबैद को कैज्युलिटी मेडिकल ऑफीसर के रूप नियुक्त किया था। डॉ. मलिक पिछले दिनों उस समय चर्चा में आ गए थे जब उन्होंने हाथरस प्रकरण में आए थे जब उन्होंने मेडिकल रिपोर्ट को लेकर मीडिया में बयान दिया था। इसके बाद से ही उनकी सेवा समाप्त करने की चर्चा तेजी से शुरू हो गई थी। मंगलवार को मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी एंड ट्रॉमा सेंटर के सीएमओ इंचार्ज डॉ. एसएएच जैदी ने नोटिस जारी कर उनकी सेवा खत्म कर दी। इसमें कुलपति प्रो. तारिक मंसूर से टेलीफोन पर ही बातचीत का हवाला दिया गया। दोनों डॉक्टरों की सेवा समाप्त होने के बाद चर्चा होने लगी कि हाथरस प्रकरण की जांच कर रही सीबीआइ सोमवार को मेडिकल कॉलेज पहुंची थी। इसके बाद ही इंतजामिया ने ये कार्रवाई की है। सीबीआइ ने नहीं की पूछताछ : डॉ. मलिक

डॉ. मोहम्मद अजीमुद्दीन मलिक ने मीडिया को बताया कि सीएमओ इंचार्ज ने फोन कर ड्यूटी न करने की बात कही है। नियुक्ति रद करने संबंधी नोटिस भी उन्होंने दिया है। हम परमानेंट नहीं थे। हमारी नियुक्ति लीव वेकेंसी पर थी। डॉक्टर व सीएमओ को कोविड होने पर हमारी नियुक्ति की गई थी। सीबीआइ ने हमसे कोई पूछताछ नहीं की। हो सकता है सीबीआइ के आने के बाद इंतजामिया ने ये कदम उठाया हो। वैसे हाथरस प्रकरण को लेकर एक डॉक्टर के नाते मैंने अपनी राय दी थी। अपनी मांग को लेकर एक ज्ञापन कुलपति के नाम भेजा है। देखते हैं वो क्या निर्णय लेते हैं? इनका कहना है

दोनों डॉक्टर लीव वेकेंसी पर कार्यरत थे। संबंधित डॉक्टर की लीव वेकेंसी खत्म होने पर इनसे अब सेवा नहीं ली जा रही। ये नियमित डॉक्टर नहीं हैं। इसलिए इनकी नियुक्ति रद की गई है। निलंबित नहीं किया गया। कुलपति ने कहा है कि सीएमओ इंचार्ज अगर डॉक्टरों को फिर से लीव वेंकेंसी पर रखने के लिए उनके नाम प्रस्तावित करते हैं तो विचार किया जाएगा।

- प्रो. शाफे किदवई, प्रवक्ता एएमयू


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