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हाथरस कांड : एक माह गुजरा, रह गए सवाल

युवती की मौत के गम और गुस्से के बीच की जा रही है सच की तलाश तनाव अभी कम नहीं

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 01:19 AM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 01:19 AM (IST)
हाथरस कांड : एक माह गुजरा, रह गए सवाल

हिमाशु गुप्ता, हाथरस : कुछ सवाल ऐसे होते हैं, जो जवाब मागते हैं। बूलगढ़ी के सच का इंतजार भी कुछ ऐसा ही है। 14 सितंबर को युवती पर हमला और फिर 14 दिन बाद मौत के बीच कब-क्या हुआ? यह भले सभी नहीं जानते, लेकिन बाद में जिस तरह सियासी खेल चला वह किसी से नहीं छिपा है। एक माह गुजर चुका है, पर कई सवाल अब भी खड़े हैं। घटना के सच की तलाश भले सीबीआइ कर लेगी, लेकिन जातिगत सद्भाव में बोई गई विषबेल क्या समय की तपिश में झुलस कर नष्ट हो पाएगी? दलित और ठाकुरों के बीच की खाई पट पाना भी फिलहाल संभव नजर नहीं आ रहा।

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जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर अलीगढ़-आगरा रोड पर सड़क के एक ओर का इलाका ठाकुर बहुल है। इन्हीं गावों में बूलगढ़ी शामिल है। इनमें लंबे समय से अनुसूचित जाति के लोग भी रहते हैं। इस इलाके से कभी कमजोर बिरादरी के उत्पीड़न की बात सामने नहीं आई। यह पहला मौका था, जब इतना बड़ा बवाल हुआ। वाल्मीकि समाज की युवती पर हमले का यह प्रकरण सियासी बयानबाजियों के बीच पूरे देश पर छाता चला गया। 29 सितंबर को युवती दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में जिंदगी की जंग हार गई। दबाव में आए प्रशासन ने रात में ही अंतिम संस्कार करा दिया तो सियासी खेल चरम पर पहुंच गया।

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राजनीति के रंग : राहुल-प्रियंका, जयंत सब पहुंचे

युवती की मौत के बाद एक अक्टूबर से ही राजनीति चरम पर पहुंची। काग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गाधी व महासचिव प्रियंका, तृणमूल काग्रेस के राज्य सभा सदस्य डेरेक ओब्रायन, प्रदेश के अपर मुख्य सचिव व डीजीपी, रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी आदि स्वजन से मिले। आप के सासद संजय सिंह भी आए, जिनपर काली स्याही फेंकी गई।

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कब क्या हुआ

14 सितंबर : वाल्मीकि समाज की युवती पर हमला हुआ। परिवार ने गाव के ही संदीप ठाकुर के खिलाफ तहरीर दी। युवती को जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज, अलीगढ़ में भर्ती कराया गया।

19 सितंबर : मुख्य आरोपित संदीप ठाकुर को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

20 सितंबर : तत्कालीन सीओ रामशब्द ने पीड़िता के बयान दर्ज किए। मामले में छेड़छाड़ की धारा बढ़ी।

22 सितंबर : पीड़िता के बयान के आधार पुलिस ने सामूहिक दुष्कर्म की धारा बढ़ाई और रवि, रामू और लवकुश को भी आरोपित बनाया। आरोपित अगले तीन दिनों में गिरफ्तार।

-28 सितंबर : युवती को दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में भर्ती कराया गया।

-29 सितंबर को युवती अस्पताल में जिंदगी की जंग हार गई।

30 सितंबर : सीएम के निर्देश पर एसआइटी का गठन।

-01 अक्टूबर : आगरा की फोरेंसिक लैब ने पुष्टि की कि दुष्कर्म नहीं हुआ।

02 अक्टूबर : एसआइटी की पहली रिपोर्ट पर एसपी समेत पाच पुलिसकर्मी सस्पेंड।

03 अक्टूबर : सीएम ने सीबीआइ जांच की सिफारिश की।

11 अक्टूबर : सीबीआइ ने केस दर्ज किया और हाथरस पहुंचकर जाच शुरू की।

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25 लाख की मदद और नौकरी का भरोसा

सरकार की ओर से पीड़ितों को 25 लाख की आíथक सहायता, शहर में एक आवास, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और निष्पक्ष कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।

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स्वजन चाहते हैं आरोपितों को फासी

मृतका के स्वजन चाहते हैं कि आरोपितों को फासी हो। उसके पिता का कहना है कि हमारी मौजूदगी के बिना अंतिम संस्कार रात में ही कर दिया गया। हम पर ही हत्या का आरोप लगा दिया गया।

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हमारे बेटे नहीं कातिल

आरोपितों के स्वजन मामले को झूठा बता रहे हैं। आरोपितों ने जेल से एसपी को चिट्ठी भेजी थी, जिसमें युवती के भाई व मा पर हत्या का आरोप लगाया है।

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कोर्ट ने दिया दखल

बिटिया की मौत और उसके जबरन अंतिम संस्कार और बवाल पर सुप्रीमकोर्ट और हाइकोर्ट को भी दखल देना पड़ा। दो दिन पहले ही हाइकोर्ट में मामले की सुनवाई हुई है, हालाकि दो नवंबर की तिथि अगली सुनवाई के लिए नियत की गई है।

इनका कहना है

हमारी प्राथमिकता जिले में शाति बनाए रखने की है। धीरे-धीरे माहौल बदल रहा है। सीबीआइ सभी पक्षों की जांच कर रही है।

-प्रवीण कुमार लक्षकार, डीएम हाथरस


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