ब्रांडेड कंपनियों की जैनरिक दवाओं से कमा रहे मोटा मुनाफा
रोगियों को राहत देने के लिए दवा कंपनियों ने बाजार में ब्रांडेड जैनरिक दवाएं उतारी हैं।
जागरण संवाददाता,हाथरस: रोगियों को राहत देने के लिए दवा कंपनियों ने बाजार में ब्रांडेड जैनरिक दवाएं उतार दी हैं। इन जैनरिक दवाओं को एक अलग ब्रांड बताकर बेचा जा रहा है। ब्रांड की मुहर होने से इनकी जैनरिक पहचान नहीं हो पाती है। इन दवाओं को ब्रांडेड दवा बताकर डाक्टर व मेडिकल स्टोर संचालक मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। वहीं, स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते ब्रांडेड दवाओं के नाम पर आम आदमी से ठगी का शिकार हो रहा है।
जैनरिक दवाओं के प्रयोग पर सरकार विशेष जोर दे रही है। दवाएं मार्केट में पहुंच रही हैं। जैनरिक को ब्रांडेड दवाओं के नाम पर मरीजों तक पहुंचाया जा रहा है। इन दवाओं की कीमत में औसतन 100 से 150 फीसद का मुनाफा रहता है। पड़ताल में सामने आया कि मैडले कंपनी की एक्लोडाल-पी जैनरिक एमआरपी 42 रुपये जो होल सेल में मात्र 18 रुपये की मिलती है। वहीं, इसी कंपनी की ब्रांडेड दवा 'एसीनक-पी' पर एमआरपी 39 रुपये दर्ज था। दोनों में साल्ट पैरासीटामोल व एसीक्लोफेनक समान मात्रा में है। इसीलिए यह मुनाफे का सौदा बनी हुई हैं।
कमाई का जरिया बनी जैनरिक दवाएं
जैनरिक व ब्रांडेड दवाओं में सिर्फ नाम का अंतर होता है। आम आदमी को लाभ देने के लिए सरकार के निर्देश पर कंपनियों द्वारा यह दवाएं बाजार में उतारी गई हैं। चिकित्सकों के लिए भी जैनरिक दवाएं लिखने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद भी इसका दुरुपयोग हो रहा है। ब्रांडेड दवाएं बताकर मेडिकल स्टोर संचालक मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।
देहात क्षेत्रों में हो रही अधिक खपत
जैनरिक दवाओं की बिक्री शहर के मेडिकल स्टोर व नर्सिंग होम, अस्पतालों में बने मेडिकल स्टोर पर हो रही है। इनकी सबसे अधिक खपत देहात क्षेत्रों में हो रही है। यहां दवा कंपनी के प्रतिनिधि निजी चिकित्सालय व झोलाछाप चिकित्सकों को कमीशन देकर इन दवाओं को लिखवा रहे हैं। अधिकतर छोटे मेडिकल स्टोर व नए दवा विक्रेता भी जैनरिक व ब्रांडेड दवाओं के बारे में अंतर नहीं कर पाते।
कुछ दवाओं की कीमत में अंतर इस प्रकार है-
मर्ज, जैनरिक कीमत, ब्रांडेड कीमत
दर्द, 10 रुपये स्ट्रिप, 42
गैस, 25 रुपये स्ट्रिप, 100
सीरप, 25 रुपये प्रति, 110