पूरा परिवार फूड प्वॉइजनिग का शिकार
गांव पवलोई के एक परिवार के छह सदस्यों समेत सात की हालत बिगड़ी ब्लर्ब- गुरुवार देर रात जिला अस्पताल में भर्ती कराए गए सभी बीमार लोग
संस, हाथरस : हाथरस जंक्शन क्षेत्र के गांव पवलोई के एक ही परिवार के छह सदस्यों समेत सात लोगों की हालत फूड प्वाइजनिग के कारण बिगड़ गई। सभी लोगों को गुरुवार देर रात जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने सभी को दूषित खानपान से बचने की सलाह दी।
पवलोई की अनीता देवी ने बताया कि गुरुवार रात खाना खाने के कुछ देर बाद उनके व बेटी अंजली, मुस्कान, लक्ष्मी, प्रिया और बेटा रामवीर के पेट में तेज दर्द होने लगा। परिवार के साथ गांव के अर्जुन ने भी खाना खाया था। उसकी हालत भी बिगड़ने लगी। बेचैनी के बाद उल्टी-दस्त की शिकायत पर गांव के लोग सभी लोगों को लेकर गुरुवार रात एक बजे जिला अस्पताल पहुंचे। अस्पताल में सभी को भर्ती करने के बाद उपचार शुरू कर दिया गया। हालत में सुधार होने पर शुक्रवार सुबह सभी को छुट्टी दे दी गई। छुट्टी से पहले डॉक्टरों ने मरीजों को खानपान में सावधानी बरतने को कहा। बासी भोजन से बिगड़ी हालत!
डॉक्टरों के मुताबिक परिवार ने पकने के काफी देर बाद खाना खाया, जिससे उनकी हालत खराब हुई। डॉ.पीके श्रीवास्तव ने बताया गर्मी के दिनों में खाना जल्दी दूषित हो जाता है। खाने के विषैला हो जाने पर हालत बिगड़ सकती है। गर्मी के दिनों में अधपका, पकने के बाद देर तक रखा हुआ या फ्रिज से बाहर रखा खाना न खाएं। तला हुआ, मसालेदार, नॉन वेज, मशरूम आदि चीजों से परहेज करें। फूड प्वाइजनिग होने पर क्या करें
-सॉलिड चीजों की जगह तरल पदार्थों का सेवन करें।
-केले, उबले चावल और सूखे टोस्ट आदि खाएं।
-ढेर सारा पानी पीयें, भरपूर आराम करें।
-चाय, कॉफी और अल्कोहल से दूर रहें।
-हर्बल चाय पीने से राहत मिलेगी।
-बिना चिकित्सक की परामर्श लिए गैरजरूरी दवाएं लेने से बचें।
-इलेक्ट्रोलाइट्स यानी ओरआरएस लेते रहें। ओपीडी में 25, आइपीडी
में 50 फीसद मरीज बढ़े
हाथरस : गर्मी के कारण जिला अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की संख्या में 25 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल में हर रोज ओपीडी में औसतन 1200 मरीज पहुंचते थे, अब औसतन 1500 नए मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। वहीं इनडोर मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। इमरजेंसी में पहुंचने वाले मरीजों की संख्या में 50 फीसद का इजाफा हुआ है। हाल यह है कि इमरजेंसी में मरीजों को तुरंत प्राथमिक उपचार देकर वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाता है। कई बार वार्ड भी फुल हो जाते हैं और मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस दौरान मरीजों को अव्यवस्थाओं का सामना भी करना पड़ता है। हालांकि जिला अस्पताल को नई नर्सें मिलने के बाद से मरीजों के उपचार में कुछ सुधार देखा गया है।
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