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फैक्ट्रियों वाले मजदूरों को खेतों में मिला सहारा

घुंघरू मजदूर परिवार पालने को काट रहे गेहूं और जौ घर बैठे मजदूरों पर नहीं है कोई आर्थिक आधार

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 Apr 2020 06:35 AM (IST)Updated: Fri, 10 Apr 2020 06:35 AM (IST)
फैक्ट्रियों वाले मजदूरों को खेतों में मिला सहारा
फैक्ट्रियों वाले मजदूरों को खेतों में मिला सहारा

संवाद सूत्र, हाथरस : लॉकडाउन के बाद से बंद हुए घुंघरू उद्योग से जुड़े मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए चिलचिलाती धूप में गेहूं की कटाई करके परिवार को दो जून की रोटी मुहैया करा रहे हैं। नाकाफी ही सही पर बच्चों का पेट इस मजदूरी से भर रहा है।

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बिसावर क्षेत्र बड़े पैमाने पर घुंघरू कारोबार के लिए जाना जाता है। इस कारोबार में करीब पांच हजार से अधिक मजदूर जुड़े हुए हैं, जो घुंघरू बनाने का कार्य कार्य करते हैं। इसके अलावा इस कारोबार से जुड़े करीब दो हजार लोग दूसरे स्थानों पर यही कारोबार करते हैं। कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन से यहां के मजदूर तो बेरोजगार हुए ही हैं, जो लोग गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र, भोपाल, आगरा, आदि शहरों में कार्य करते थे, वे भी गांव लौट आए हैं। वे भी बेरोजगार हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में इन मजदूरों के आगे परिवार के पालन पोषण की समस्या खड़ी हो गई है। लॉकडाउन के समय में ही गेहूं तथा जौ की फसल पक कर तैयार हो गई है। फैक्ट्रियों के मजदूर अपने परिवार को पालने के लिए पहली बार गेहूं कटाई कार्य में जुटे हैं।

बिसावर क्षेत्र में मजदूरों की संख्या ज्यादा होने का फायदा खेत मालिकों को मिल रहा है। जो लोग चांदी, गिलेट, पाजेब बनाने के काम में रोजाना 500 से एक हजार रुपये कमाते थे मगर अब कड़ी धूप में गेहूं की कटाई करके ढाई सौ रुपये पाते हैं। शहर के मजदूर भी परेशान

संस, हाथरस : शहर के लोगों काम व धंधे के लिए भटकना पड़ रहा है। लॉकडाउन के चलते उद्योगों के साथ सभी कारखाने व प्रतिष्ठान बंद पड़े हैं। काम की तलाश में हाथ के दस्तकार व कारीगर भी परेशान हैं। इनमें से कुछ ने तो खेतों में गेहूं की फसल काटने का भी काम करना शुरू कर दिया है। बच्चों के भरण-पोषण के लिए आखिर कुछ तो करना ही है। शहर के मजदूर शहर में अलग-अलग स्थानों पर इकट्ठे होते थे, जहां से काम वाले लोग उन्हें दिहाड़ी पर ले जाते थे। अब फैक्ट्रियों में काम बंद हैं। मकानों का निर्माण कार्य भी नहीं हो रहा है। ऐसे में मजदूर परिवार काम के लिए परेशान हैं। इनका कहना है

मैं राजकोट में चांदी के घुंघरू बनाने का कार्य करता था। लॉकडाउन के चलते सभी जगह काम बंद हो जाने से रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। राजकोट से आने के बाद यहां खेतों में गेहूं काटने का काम मिल रहा है।

-रूपेश कुमार, मजदूर लॉक डाउन के कारण घुंघरू बनाने का काम बंद हो गया है। दो वक्त की रोटी के लिए गेहूं की कटाई कर रहे हैं। इससे मिलने वाली मजदूरी से बच्चों को पेट भर रहे हैं।

-लक्ष्मण सिंह, मजदूर लॉक डाउन के दिन से ही कारखानों में काम बंद हो गया था। घुंघरू यातायात के साधन बंद होने से शहरों में नही पहुँच रहा। कहीं काम नहीं दिखा तो गेहूं की फसल काटना शुरू कर दिया है।

-रिकू कुमार,मजदूर कोरोना के कारण देश में हुए लॉक डाउन से घुंघरू बनाने का कारोबार ठप पड़ा है। इस कड़ी धूप में गेहूं काटने के लिए घर के सभी लोग सुबह ही खेतों पर चले जाते हैं। इसी से बच्चों का पेट भर पा रहा है।

-भूरा बनाफल, मजदूर

इनसेट---- ट्रैक्टर और प्लाट के मालिक भी

खुद को बता रहे मनरेगा मजदूर अंधेर

जनपद से कुल 1265 आवेदन आए, जांच में 350 आवेदन निरस्त किए

राशन और नकदी देने के लिए आपूर्ति विभाग बना चुका है 915 राशन कार्ड

जासं, हाथरस : कोरोना वायरस की दहशत में पूरे देश में हुए लॉकडाउन के बाद मजदूर वर्ग के लिए सरकार ने खजाना खोल दिया है। मनरेगा मजदूरों से लेकर श्रमिकों तक को राशन मुफ्त दिया जा रहा है। मौके का फायदा उठाकर प्लाट, मकान के अलावा ट्रैक्टर और चारपहिया वाहनों के मालिकों ने मनरेगा मजदूर बनकर राशन कार्ड के लिए आवेदन कर दिया। 1265 आवेदन में कुल 915 पात्र लोगों के ही राशन कार्ड जारी किए गए।

समस्त अन्त्योदय राशनकार्ड धारकों को 20 किलो गेहूं व 15 किलो चावल निश्शुल्क दिलाया जा रहा है। पात्र गृहस्थ योजना के ऐसे राशनकार्ड धारकों को जिनके पास सक्रिय मनरेगा जॉब कार्ड या श्रम विभाग में पंजीयन है, उनको प्रति यूनिट 03 किलो गेहूं व 02 किलो चावल निश्शुल्क दिया जा रहा है। इस बीच सरकार की ओर से निर्देश आए कि ऐसे लोगों के राशन कार्ड बनवाए जाएं जो श्रमिक हैं और मनरेगा मजदूर हैं, मगर राशन कार्ड न होने पर लाभ नहीं ले पा रहे हैं। आनन-फानन ऑनलाइन आवेदन मांगे गए। कुल 1265 आवेदन आए मगर 350 आवेदनों को इसलिए निरस्त कर दिया गया क्योंकि ये लोग ट्रैक्टर मालिक, प्लाट मालिक और मकान मालिक के अलावा कुछ नौकरी पेशा और दो लाख से अधिक की आय करने वाले थे।


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