महिलाओं को बताए संतुलित आहार के फायदे
फिक्रमंद पोषण माह के तहत चल रहे आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्यक्रम
संवाद सहयोगी, हाथरस : आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने लाभार्थियों के घरों में जाकर बच्चों की देखभाल के संबंध में जानकारी दी। विशेष रूप से छह माह की आयु पूर्ण करने वाले बच्चों की माताओं को ऊपरी आहार के संबंध में विस्तार से बताया। पोषण माह के ग्यारहवें दिन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित कार्यक्रम गृह भेंट के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर पोषण की अलख जगा रही हैं।
जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह ने बताया कि जन्म के एक घंटे के अंदर बच्चे को मां का दूध पिलाना शुरू करके छह माह तक केवल मां का दूध देना है। छह माह के बच्चे में शारीरिक विकास की गति को देखते हुए मां का दूध आवश्यक पोषण देने के लिए पर्याप्त नहीं होता, इसलिए बच्चे को धीरे-धीरे ऊपरी आहार की शुरुआत करनी चाहिए। प्रारंभ में बच्चे को अच्छे से मसला हुआ दाल चावल, आलू, खिचड़ी, सूजी की खीर, अच्छे से मसले हुए फल दिए जाने चाहिए और धीरे धीरे भोजन की मात्रा और गरिष्ठता बढ़ाते जाना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में देखा जाता है कि प्रारंभ में लोग बच्चों को दाल का पानी देना शुरू करते हैं। यह बच्चे के लिए पौष्टिक नहीं होता, क्योंकि दाल के पानी में पानी की मात्रा अधिक होती है और पौष्टिक आहार की मात्रा कम होती है। इसलिए दाल का पानी नहीं बल्कि सीधी गाढ़ी दाल देनी चाहिए। उसमें एक चम्मच घी अथवा तेल मिला देने से भोजन की ऊर्जा बढ़ जाती है। बच्चे को प्रारंभ में मिर्च मसाले या चटपटा भोजन देने से परहेज करना चाहिए। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि जनपद में चिह्नित 1881 अति कुपोषित बच्चों में से लगभग 15 सौ बच्चे ऐसे हैं जिनकी आयु सात माह से तीन वर्ष के बीच है। इससे स्पष्ट है कि बच्चों में कुपोषण की शुरुआत छह महीने के बाद होती है। अर्थात ऊपरी आहार सही ढंग से न देने के कारण बच्चा कुपोषण का शिकार होने लगता है। माताओं को सलाह दी गई कि बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र से मिलने वाला पूरक पुष्टाहार और घर में बने भोजन को अच्छी तरह से मसल कर बच्चों को खिलाएं और प्रत्येक महीने बच्चे का वजन कराएं और एमसीपी कार्ड पर चढ़वाएं।