दवा नहीं तो दुआ ही दे दीजिए
बिना वैक्सीन कैसे शुरू होगा टीकाकरण अभियान 15 सितंबर से पांच लाख पशुओं को लगने हैं टीके
संवाद सहयोगी, हाथरस : बरसात बाद पशुओं में फैलने वाली बीमारी खुरपका-मुंहपका को लेकर पशुपालकों में चिंता इसलिए सताने लगी है, क्योंकि शासन ने टीकाकरण अभियान के श्रीगणेश की तारीख तो तय कर दी, लेकिन वैक्सीन का कहीं कोई इंतजाम नहीं है। ऐसे में हम ईश्वर से दुआ करेंगे कि दवा की पशुओं को नौबत ही न आए। उनके पास तक कोई बीमारी न फटकने पाए। उन्हें कोई दवा नहीं दे सकता है तो दुआ ही दे दे।
खुरपका व मुंहपका रोग विषाणु या वायरस से फैलता है। रोग की चपेट में आने से दुधारू पशु सूख जाते हैं। इस रोग के आने पर पशु को तेज बुखार हो जाता है। बीमार पशु के मुंह, मसूड़े, जीभ के ऊपर नीचे होंठ के अंदर का भाग, खुरों के बीच की जगह पर छोटे-छोटे दाने उभर आते हैं, फिर धीरे-धीरे ये दाने आपस में मिलकर बड़ा छाला बनाते हैं, जो फूटकर जख्म का रूप ले लेते हैं, जिससे पशु जुगाली करना बंद कर देता है। मुंह से लार गिरती है। पशु लंगड़ाकर चलता है। पैरों के जख्मों में जब कीचड़ मिट्टी लगती है तो कीड़े पड़ जाते हैं और उनमें बहुत दर्द होता है। टीकाकरण से ही इस रोग से बचाव किया जा सकता है। इसीलिए सरकार प्रतिवर्ष 15 सितंबर से टीकाकरण अभियान चलाती है, लेकिन अभी तक शासन से इसकी लिए वैक्सीन नहीं मिली है। इस कारण अभियान में देरी हो सकती है। करीब पांच लाख पशुओं को टीके लगाए जाएंगे, जिसमें छह माह से छोटे बच्चे व गर्भवती पशुओं को टीकाकरण में शामिल नहीं किया जाएगा। इनका कहना है.
अभी वैक्सीन शासन से नहीं भेजी गई है। हम अपनी तैयारियों में जुटे हैं, ताकि शासन से वैक्सीन मिलते ही उसे सुरक्षित कोल्ड चेन में रखवाया जा सके। टीम बनाई जा रहीं हैं।
डा.बीपी ¨सह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।