दर्शन पर रोक से श्रद्धालुओं में आक्रोश
कोरोना की आड़ में गोपेश्वर महादेव मंदिर के पट बंद करने व दूध चढ़ाने से रोकने पर रोष।
जासं, हाथरस : कोरोना की आड़ में अति प्राचीन मंदिर पर दर्शन व दुग्धाभिषेक रोक दिए जाने से भक्तों में आक्रोश पैदा हो गया। इस मामले की शिकायत पर इतवार को ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा मौके पर पहुंच गए। उन्होंने हिदायत दी कि मंदिर को पूर्व की भांति खोला जाए ताकि मंदिर पर सोमवार को दुग्धाभिषेक व शेष दिन भक्त जलाभिषेक कर सकें। इस पर किसी प्रकार की पाबंदी सहन नहीं होगी। उन्होंने सिथेटिक दूध की रोकथाम के लिए समय-समय पर खाद्य विभाग की टीम द्वारा सैंपलिग के निर्देश भी दिए।
सिटी रेलवे स्टेशन के निकट अति प्राचीन गोपेश्वर महादेव मंदिर है। यहां पर विराजमान शिवलिग व अन्य प्रतिमाएं विशाल व प्राचीन हैं। पूर्व में भी यहां पर सिंथेटिक दूध चढ़ाए जाने से प्रतिमाओं के क्षरण की शिकायतें सामने आई थीं। जिस पर खाद्य विभाग ने आसपास के दुकानदारों के यहां से दूध के सैंपल लिए थे। इधर कोरोना काल के चलते मंदिर में दूध चढ़ाने व मंदिर के अंदर प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। शिकायत की गई थी कि कोरोना काल की आड़ का हवाला देते हुए मंदिर में प्रवेश के नाम पर 21 सौ रुपये की रसीद काटी जाती है। वहीं मंदिर के पट भी समय से नहीं खुलते। आक्रोशित भक्तों ने इस मामले की शिकायत ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा से की तो वह जनभावनाओं को ²ष्टिगत इतवार को मंदिर पर पहुंच गए। उन्होंने यहां का निरीक्षण किया।
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा ने पुजारी को निर्देश दिए कि मंदिर नियमित रूप से खुलेगा। सोमवार को दूध इत्यादि का चढ़ावा व शेष दिन जल का चढ़ावा स्वीकार किया जाए। उन्होंने कहा कि मिलावटी दूध या अन्य खाद्य सामग्री का चढ़ाव न हो, ताकि प्राचीन मूर्तियों पूरी तरह से संरक्षित रहे, इसके लिए खाद्य विभाग की टीम समय-समय पर सैंपलिग करती रहेगी।
इनका कहना है
कोरोना की आड़ में मंदिर पुजारी के पुत्र ने प्रवेश पर 21 सौ रुपये की रसीद का प्रावधान कर दिया था और दूध के चढ़ावे से भक्तों को रोक दिया था। इसकी शिकायत पर मौके पर पहुंचकर इसका निस्तारण करते हुए पूर्व की भांति दर्शन के निर्देश दिए हैं।
प्रेम प्रकाश मीणा, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सिंथेटिक दूध के चढ़ावे से मूर्तियों का क्षरण होने व मादक पदार्थ चढ़ाने वालों के मंदिर परिसर में जमघट लगने पर पाबंदी लगाई थी। 21 सौ रुपये की रसीद काटने के आरोप निराधार हैं। दर्शन-पूजन पर कोई रोक टोक या पाबंदी नहीं है।
पं. प्रदीप भारद्वाज, पुजारी