डेंगू की जांच के हों बंदोबस्त, रात्रि में भी मरीज देखें चिकित्सक
दैनिक जागरण के पाठक पैनल में कैसे बेहतर हों स्वास्थ्य सेवाएं विषय पर शहर के गणमान्य लोगों ने रखे विचार
संवाद सहयोगी, हाथरस : सही जांच व बेहतर उपचार न मिल पाने के कारण लोगों की अकाल मौतें होती हैं। जिले की स्वास्थ्य सेवाओं में क्या सुधार होना चाहिए, कहां खामियां हैं? इसको लेकर दैनिक जागरण ने गुरुवार को अपने कार्यालय पर स्वास्थ्य सेवाओं के विषय पर पाठक पैनल का आयोजन किया, जिसमें सामाजिक संगठनों से जुड़े पदाधिकारी, शिक्षक, व्यापारी व विद्याíथयों ने अपनी राय रखी।
बागला इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. राधेश्याम वाष्र्णेय ने कहा कि सरकारी अस्पताल रेफरल सेंटर बन गया है। करोड़ों रुपये की लागत से मशीनें तो लगा दी गईं, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों के न होने से मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पाता और बेहतर उपचार नहीं मिल पाता है। लगातार डेंगू का प्रकोप बढ़ रहा है, लेकिन जिले में सरकारी व प्राइवेट चिकित्सालयों में डेंगू की जांच की व्यवस्था नहीं है। पिछले दिनों उनका एक परिचित बुखार होने पर एक निजी चिकित्सक के पास गया, जहां उसे मलेरिया बताया गया, हालत ज्यादा खराब होने पर दिल्ली में जाकर डेंगू की पुष्टि हो पाई। सरकार को चाहिए कि सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों के खाली पदों को भरे, ताकि गरीब लोगों को बेहतर स्वास्थ्य लाभ मिले। महक होटल संचालक नितिन बागला का मानना था कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं नाममात्र के लिए हैं, प्राथमिक उपचार भी मरीजों को नहीं मिल पाता है। ऐसी व्यवस्था अस्पतालों में होनी चाहिए कि मरीजों को दूसरे जिलों में जाकर उपचार न कराना पड़े। कई लोगों की मौत समय से उपचार न मिल पाने से हो जाती है।
भट्टा व्यापारी अमित वाष्र्णेय का कहना था कि डेंगू सहित अन्य रोगों की जांच की समुचित व्यवस्था निजी व सरकारी अस्पतालों में नहीं है। इस वजह से तमाम परेशानियों का सामना मरीजों को करना पड़ता है। समुचित व्यवस्थाएं अस्पतालों में होनी चाहिए। प्राथमिक विद्यालय तरफरा में तैनात सहायक अध्यापक सुमित शर्मा ने कहा कि सरकार की योजनाएं बेहतर हैं मगर जमीन पर उनका बेहतर ढंग से संचालन नहीं हो पा रहा। सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की काफी कमी है। निजी पैथोलॉजी सेंटर पर क्वालिटी का अभाव है। रिपोर्ट सही नहीं दी जाती है। गुमराह होने पर लोगों के जीवन से खिलवाड़ होता है। प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को ऐसी नीति बनानी चाहिए कि निजी चिकित्सक भी रात के वक्त मरीजों को देखें। बागला इंटर कॉलेज के रसायन विज्ञान के प्रवक्ता मनोज शर्मा ने कहा कि मौसम बदलते समय ही स्वास्थ्य विभाग को जागरूकता कार्यक्रम चलाना चाहिए, क्योंकि वेक्टरजनित रोग मौसम बदलने पर ही होते हैं। इसके साथ ही डेंगू की जांच के बंदोबस्त जिले के अस्पतालों में होने चाहिए। जीडी इंटर कॉलेज कोटा में तैनात शिक्षक सत्यम यादव का कहना था कि डेंगू की जांच की कोई व्यवस्था न होना दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक बेहतर ढंग से उपचार नहीं करते। इंजीनियर प्रमोद कुमार का कहना था कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा काफी खराब है। सिकंदराराऊ में ट्रॉमा सेंटर बने कई साल हो गए, लेकिन चिकित्सकों के अभाव में उसका लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। सरकार को चाहिए कि चिकित्सकों की व्यवस्था सरकारी अस्पतालों में करे। वारदाना व्यापारी अनुज कुमार खंडेलवाल का कहना था कि निजी चिकित्सक रात के वक्त इमरजेंसी सेवाएं नहीं देते। इसके कारण लोगों को परेशानी होती है। ग्रामीण अंचल में बने सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीजों के इलाज में खानापूíत की जाती है। महात्मा गांधी इंटर कॉलेज के कक्षा 11 के छात्र पवन कुमार का कहना था कि एक रुपये का पर्चा बनवाकर लोग बेहतर इलाज की उम्मीद से जिला अस्पताल पहुंचते हैं, लेकिन वहां तैनात चिकित्सक बेहतर उपचार नहीं करते। व्यापारी मनोज शर्मा का मानना था कि डेंगू के प्रकोप को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग को पहले ही लोगों को सचेत करना चाहिए। ये आए प्रमुख सुझाव
-रविवार वाले दिन भी निजी चिकित्सकों को ओपीडी करनी चाहिए। -प्रशासन को टाइम टेबल बनाकर चिकित्सकों की ड्यूटी लगानी चाहिए।
-सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती होनी चाहिए।
-मरीजों को तभी रेफर किया जाए जब हालत गंभीर हो, बेवजह उन्हें रेफर न किया जाए।
-यदि निजी चिकित्सक को बाहर जाना हो तो इसकी जानकारी सार्वजनिक होनी चाहिए।
-दिल्ली की तरह वार्ड वाइज सरकारी चिकित्सकों की व्यवस्था होनी चाहिए।