धरती रंग-बिरंगी, रोशन आसमान
घरों व प्रतिष्ठानों विधि-विधान के साथ हुआ पूजन मिट्टंी की दीयों से दमका घर-आंगन जमकर हुई आतिशबाजी।
संवाद सहयोगी, हाथरस: दीपावली का पर्व सोमवार को धूमधाम के साथ मनाया गया। घरों व प्रतिष्ठानों में सुख, शांति, वैभव व समृद्धि के लिए देर रात तक लोगों ने मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा-अर्चना की। खील-बतासे के साथ मिठाई से लक्ष्मी व गणेश को भोग लगाया गया। शाम को दीपोत्सव पर घरों व प्रतिष्ठानों में दीपदान करते हुए लोगों ने एक दूसरे को शुभकामनाएं दीं। देर रात तक आतिशबाजी की गई।
दीपावली पर लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था। शनिवार को लोग सुबह से ही सजावट करने की तैयारियों में लगे थे। शानदार ढंग से दीपोत्सव मनाने के लिए लोगों ने कई दिन से तैयारियां की थीं। दरवाजों पर आम के पत्ते व फूलों की मालाओं से दरवाजों को सजाया गया था। शाम को घरों में पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो गया। घरों में चौकी सजाकर उस पर लक्ष्मी-गणेश के साथ कुबेर, दुर्गा, हनुमान आदि देवी-देवताओं की पूजा भी की गई। शाम होते ही जगमग हुआ शहर
शाम होते ही घरों की छतों पर लटकीं इलेक्ट्रिक झालरें रंगबिरंगी रोशनी से झिलमिलाने लगी। लोगों ने मुहूर्त के अनुसार शाम को पूजा-अर्चन करते हुए घरों में मिट्टी के छोटे-छोटे दीपों को जलाकर जगह-जगह रखा। दीपों की रोशनी से घर व प्रतिष्ठान जगमगा उठे। दीपों की रोशनी व झिलमिलाती हुई रंगीन झालरें आकर्षण का केंद बनी हुई थीं।
मंदिरों में की गई पूजा
घरों में पूजा करने के बाद श्रद्धालुओं ने मंदिरों में जाकर भी पूजा-अर्चना की। खील-बतासों के साथ मिष्ठान का भोग भगवान को लगाया गया। इसके लिए मंदिरों को भी रंगीन झालरों से सजाया गया था। इनमें चामुंडा देवी, बौहरे वाली देवी, नवग्रह, कैलाश मंदिर आदि पर देवी-देवताओं के भव्य दर्शन श्रद्धालुओं को कराए गए। प्रतिष्ठानों पर दिए गए उपहार
दीपावली पर घरों के अलावा प्रतिष्ठानों में भी शाम को पूजा की गई। लोगों ने शाम को प्रतिष्ठानों पर जाकर पूजा-अर्चना करने के बाद कारीगरों को मिष्ठान व उपहार दिए। इसके अलावा उपहार स्वरूप अपने मिलने-जुलने वालों के घर मिष्ठान के पैकेट व उपहार देने के सिलसिला देर रात तक लोगों के बीच चलता रहा।
सुबह हुई स्याहू की पूजा
दीपावली के दूसरे दिन स्याहू की पूजा की जाती है। तड़के स्याहू की पूजा की गई। यह पूजा बच्चों के जागने से पूर्व की जाती है। इसमें महिलाएं पुराने सूप व छलनी को बजाते हुए घरों से निकलकर उसे गांव से दूर फेंक आती हैं। इसे करने से बच्चों को रोगों से दूर रहते हैं और खुशहाली आती है।