छुट्टियों में बच्चों को आ रही नाना-नानी की याद
संवाद सहयोगी हाथरस हर साल बीस मई को सीबीएसई एवं माध्यमिक विद्यालयों में ग्रीष्मकालीन अवकाश हो जाते थे लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण विद्यालय तो पहले से ही बंद है।
संवाद सहयोगी, हाथरस: हर साल बीस मई को सीबीएसई एवं माध्यमिक विद्यालयों में ग्रीष्मकालीन अवकाश हो जाते थे, लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण विद्यालय तो पहले से ही बंद है। लेकिन बच्चे अपनी नाना-नानी के पास नहीं जा पा रहे हैं। घरों में रहकर बच्चे अब परेशान हो गए हैं। लॉकडाउन के खुल जाने का इंतजार स्कूली बच्चे कर रहे है।
पिछले कुछ सालों से सीबीएसई, माध्यमिक और बेसिक स्कूलों का सत्र एक अप्रैल से कर दिया गया है। 20 मई तक विद्यालयों में दाखिलों के अलावा पढ़ाई होती थी। उसके बाद डेढ़ माह के ग्रीष्मकालीन अवकाश हो जाते थे। ग्रीष्मकालीन अवकाश हो जाने का इंतजार पूरे साल बच्चों को रहता था। जिससे वो अपने परिवार के साथ हिल स्टेशन के अलावा नाना व नानी के घर घूमकर आएं। इस बार मार्च में ही कोरोना वायरस की महामारी ने दस्तक दे दी। लॉकडाउन के चलते सब कुछ बंद हो गया है। 22 मार्च से ही बच्चे अपने घरों के अंदर रहकर ही समय काट रहे है। बच्चे इस लॉकडाउन के खुल जाने का इंतजार कर रहे है।
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बच्चों के बोल
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मेरी नानी का घर अलीगढ़ में है। हर साल में छुट्टी हो जाने पर नानी के घर घूमने जाता था, लेकिन अब पापा बताते है कि लॉकडाउन हो गया है। लॉकडाउन के बाद नानी के घर जाऊंगा।
रूद्र सिंह, अइयापुर
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हर साल मैं मम्मी के साथ दिल्ली अपनी ननिहाल जाता हूं। लेकिन इस बार मम्मी कर रही है कि लॉकडाउन की वजह से कही आना जाना बंद है। लॉकडाउन खुल जाने पर नानी के घर जरूर जाऊंगा।
रोहन, अइयापुर
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मेरी नानी का घर एटा में है। जब पेपर खत्म हो गए थे। तब सोचा था कि गर्मी की छुट्टी में जाएंगे, लेकिन लॉकडाउन हो जाने से नहीं जा पा रहे।
परी, आवास विकास।
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नानी का घर उज्जैन में है। लेकिन इस बार वहां नहीं जा पा रहे। लॉकडाउन खुल जाने के बाद मम्मी व पापा के साथ नानी के घर जाएंगे।
दिव्यांषी,आवास विकास।