हर गांव में बीसी सखी से बैंकिग सुविधाएं
एनआरएलएम के तहत 461 महिलाओं का किया गया चयन पीओएस मशीन के जरिए लोगों के खाते से भुगतान कराएंगी बैंकिग सखी।
जागरण संवाददाता, हाथरस : बैंकिग सुविधाएं अब हर दरवाजे तक पहुंचेगी। इसके लिए सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्रयास शुरू किया है। मंगलवार को विकास भवन में बैंकिग सेवाओं का प्रशिक्षण दिया गया। मुख्य विकास अधिकारी ने 40 बैकिग करेस्पांडेंट सखी (बीसी सखी) को पीओएस मशीनें वितरित कीं।
सरकार की अधिकांश योजनाओं का लाभ अब सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में दिया जा रहा है। यहां तक कि मनरेगा की मजदूरी भी बैंक खातों में ही भेजी जा रही है। इसके अलावा प्रधानमंत्री सम्मान निधि, विभिन्न पेंशन योजना, कृषि अनुदान आदि भी लाभार्थी के खाते में पहुंच रहा है। प्रधानमंत्री आवास व मुख्यमंत्री आवास की रकम भी सीधे बैंक खाते में आती है। खाते में आई रकम निकालने के लिए लोगों को बैंक जाना पड़ता है। बैंक में कर्मचारी कम होने के चलते वहां भीड़ लगती है। इसके अलावा रकम निकालकर बाहर निकले ग्रामीणों के साथ धोखाधड़ी-लूट की भी घटनाएं भी होती रहती हैं। इसको देखते हुए केंद्र व राज्य सरकार अब हर गांव में बैंकिग सेवाओं का विस्तार करने का प्रयास कर रही है।
मंगलवार को विकास भवन में आयोजित प्रशिक्षण में मुख्य विकास अधिकारी आरबी भास्कर ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बैकिग करेस्पांडेंट सखी योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत चयनित महिलाओं को बैंकिग सेवाओं का प्रशिक्षण देकर गांव-गांव बैंक से संबंधित कार्यों का संचालन किया जाएगा। बीसी सखी अपने गांव में किसी भी बैंक खातेदार के खाते से रुपये निकालने व जमा करने का कार्य करेंगी। 24 घंटे चलने वाली इन सेवाओं के जरिए ग्रामीण अपने घर बैठे ही रुपयों का लेन-देन कर सकेंगे। इससे योजनाओं का धन सीधे लाभार्थी के घर तक पहुंचना आसान हो जाएगा। सीडीओ ने 40 बीसी सखियों को पीओएस मशीनें वितरित कीं। एनआरएलएम प्रभारी रंजन के अनुसार 461 चयनित बीसी सखी में से 228 को प्रशिक्षण दिलाया गया है। ब्याज मुक्त ऋण मिलेगा
बीसी सखी पद पर चयनित महिलाओं को प्रशिक्षण के उपरांत कार्य प्रारंभ करने के लिए उनके स्वयं सहायता समूह के जरिए 75 हजार रुपये का ब्याजमुक्त ऋण दिया जाएगा। इसमें से 50 हजार रुपये से पीओएस मशीन समेत अन्य उपकरण खरीदे जाएंगे। शेष 25 हजार रुपये ओवर ड्राफ्ट के तौर पर मिलेगा, जिससे वे रुपयों का लेन-देन शुरू कर सकें। इसके अलावा शुरुआत में छह माह के लिए इन्हें चार हजार रुपये प्रति माह मानदेय दिया जाएगा। बाद में इन्हें कमीशन एजेंट के तौर पर कार्य करना होगा।