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कोर्ट के आदेश को आंख दिखा रहे बेहाल अस्पताल

किशोर वाष्र्णेय, सादाबाद : उच्च न्यायालय ने सरकारी अस्पतालों में सरकारी कर्मचारियों व अधिकारि

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Mar 2018 03:14 AM (IST)Updated: Wed, 14 Mar 2018 03:14 AM (IST)
कोर्ट के आदेश को आंख दिखा रहे बेहाल अस्पताल

किशोर वाष्र्णेय, सादाबाद : उच्च न्यायालय ने सरकारी अस्पतालों में सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों के इलाज के आदेश तो दे दिए हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या वाकई वह सरकारी अस्पतालों में इलाज करा पाएंगे, क्योंकि यहां के हालात जगजाहिर हैं। सादाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र संसाधनों के साथ चिकित्सकों की कमी व दवाओं के लिए जूझ रहा है। ऐसे में क्या सरकारी कर्मचारी यहां आएंगे?

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आगरा हाथरस मार्ग पर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं के नाम पर कुछ चिकित्सक व कुछ गोलियां ही मिलती हैं। यहां हड्डी रोग, सर्जन से लेकर फिजीशियन तक नहीं हैं। एनएच हाइवे यहां से गुजर रहा है। सबसे ज्यादा हादसे भी यहीं होते हैं, लेकिन ट्रॉमा सेंटर न होने के कारण गंभीर मरीज को तत्काल रेफर स्लिप पकड़ा दी जाती है। थाइराइड, हृदय रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ, न्यूरोसर्जन हैं नहीं। दवाओं का भी टोटा रहता है। यहां चिकित्सा अधीक्षक के साथ दर्जन चिकित्सकों की टीम होनी चाहिए, लेकिन कुछ ही चिकित्सक ओपीडी इमरजेंसी सहित अन्य सेवाओं में लगे हुए हैं, जबकि सादाबाद तहसील क्षेत्र के अलावा मुरसान व चंदपा क्षेत्र के गांव के लोग इसी अस्पताल पर निर्भर हैं।

यहां 20 चिकित्सकों की डिमांड है, जबकि आठ चिकित्सक उपलब्ध हैं। इसके अलावा गांव मई, बिलारा, बिसावर, ऊंचागांव व जैतई के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी चिकित्सकों के इंतजार में बदतर हो रहे हैं। सादाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीन करीब 35 मातृ एवं शिशु कल्याण केंद्र हैं, जिनमें से 22 केंद्रों पर एएनएम की नियुक्ति है, लेकिन 13 केंद्र अभी भी नियुक्ति की बाट जोह रहे हैं। नेत्र विशेषज्ञ, प्रतिरक्षण अधिकारी, फिजीशियन आदि से संबंधित बीमारियों का उपचार भी नहीं हो पाता है। वहीं एक अल्ट्रासाउंड मशीन शासन ने दी थी, जो खराब होने के चलते वापस भेज दी गई। दर्द निवारक दवा, इंजेक्शन, एंटीबायोटिक, एलर्जी, खांसी की भी दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। यहां करीब 400 से 600 मरीज तक की ओपीडी रोजाना की है।

सहपऊ भी बेहाल : सहपऊ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी संसाधनों का अभाव है। यहां से भी घायलों को हाथरस या फिर आगरा के लिए रेफर किया जाता है। डेढ़ सौ से दो सौ तक नियमित मरीज इलाज को आते हैं। आठ डाक्टरों के पद सृजित हैं, लेकिन मात्र तीन डॉक्टर ही तैनात हैं।

इनका कहना है..

न्यायालय के आदेश को प्राथमिकता के तौर पर रखा जाएगा। सभी कर्मचारियों को सरकारी अस्पताल में उपचार कराने के लिए प्रेरित करने का काम किया जाएगा। इससे पहले सरकारी अस्पताल की कमियां को दूर करने की जरूरत है।

- जयप्रकाश उप जिलाधिकारी, सादाबाद

न्यायालय का आदेश सर्वोपरि है, लेकिन संसाधनों की कमी वाकई में है। संसाधनों की कमी को दूर किया जाना भी अति आवश्यक है, जिससे कर्मचारियों के साथ अधिकारियों को भी इसका लाभ मिल सके।

- पंकज वर्मा तहसीलदार, सादाबाद

न्यायालय द्वारा जारी किया आदेश सरकारी कर्मचारियों के हित में है। सरकारी सुविधाएं नि:शुल्क मुहैया होंगी और इससे कर्मचारियों को लाभ ही होगा। जो संसाधन की कमी है, उनको भी निश्चित रूप से सरकार पूरा करेगी।

- राकेश कुमार, एबीआरसी सादाबाद

सरकारी कर्मियों व अधिकारियों को सरकारी अस्पताल में इलाज कराने से निश्चित रूप से लाभ होगा। कर्मियों को जब नि:शुल्क उपचार मिलेगा तो महंगे चिकित्सालयों के यहां हम क्यों जाएंगे। अस्पतालों में डॉक्टरों व संसाधनों की कमी भी दूर होनी चाहिए।

- अमित प्रताप सिंह, शिक्षक


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