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स्वतंत्रता के आदर्शों का हो पालन

वैश्विक बीमारी कोविड -19 से पूरी दुनिया में जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित रहा है। अनेक लोगों ने अपने परिजनों संबंधियों मित्रों एवं परिचितों को खोया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Sep 2021 05:45 AM (IST)Updated: Thu, 16 Sep 2021 05:45 AM (IST)
स्वतंत्रता के आदर्शों का हो पालन

हाथरस : वैश्विक बीमारी कोविड -19 से पूरी दुनिया में जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित रहा है। अनेक लोगों ने अपने परिजनों, संबंधियों, मित्रों एवं परिचितों को खोया है। इस स्थिति से अब हमारा देश धीरे-धीरे उबर रहा है। आपात स्थिति में दान दाताओं ने सराहनीय कार्य किया है। वे गरीबों व असहायों की मदद में बढ़-चढ़कर भाग लेकर मानव समाज के लिए अनुकरणीय आदर्श बन गए।

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हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ तथा 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ। देश का संविधान हमें अपने मूल अधिकारों को पाने, कर्तव्यों एवं आदर्शों का पालन करने का अवसर देता है। भारतीय समाज में हर व्यक्ति को अपने आदर्शों का पालन पूर्ण मनोयोग एवं मनोबल से करना चाहिए। सभी को संविधान में बताए गए कर्तव्यों, नैतिक मूल्यों एवं आदर्शों का पालन करना चाहिए, जिसके अंतर्गत नारी सम्मान, नारी शिक्षा, सर्वशिक्षा एवं गरीबी उन्मूलन के अधिकाधिक प्रयास किए जाने चाहिए। भारत की विरासत एवं संस्कृति सम्पूर्ण विश्व में लोकप्रिय एवं सराहनीय है। देश में कोई भी व्यक्ति भूखा, नंगा या कुपोषित न रहे, इसके लिए सभी को प्रतिज्ञाबद्ध होना चाहिए। सभी को मानव सेवा में अपना योगदान देना चाहिए। सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए तथा समभाव जैसे आदर्श का पालन हर जगह होना चाहिए। सभी नागरिकों को अपने अधिकारों व आदर्शों का पालन स्वतंत्र रूप से करना चाहिए। भारतीय नागरिकों को किसी विशेष राजनेता या राजनीति के दबाब में न आकार अपने मूल आदर्शों से नहीं भटकना चाहिए। हर धर्म के व्यक्तियों को अपने धर्म को प्रमुखता न देकर मानव मूल्यों को प्रमुखता देनी चाहिए। यही मानव जीवन का मुख्य आदर्श है। देश एवं विदेश में चारों ओर शांति बनी रहे इसके लिए मैत्री भाव को सु²ढ़ बनाना चाहिए, क्योंकि अशांति एवं वैमनस्यता मानव जाति एवं संस्कृति की विनाशक है। सभी व्यक्तियों को नारी सुरक्षा पर विशेष बल देना चाहिए, क्योंकि नारी जाति समाज व देश का गौरव होती है। 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' के संदेश का हम सभी को पालन करना चाहिए। बढ़ते हुए व्यभिचार, आतंकवाद, भ्रष्टाचार व दुष्कर्मों से संपूर्ण मानवजाति, भारतीय समाज व देश कलंकित होता है तथा हो रहा है। इसलिए मैं भारतीय होने के नाते यही संदेश देना चाहती हूं कि सभी को मानव मूल्यों की स्थापना के उद्देश्यों से नहीं भटकना चाहिए। स्वतंत्रता के आदर्शों का पालन करते हुए मानव सेवा का अविस्मरणीय मिसाल बनें जिससे नवीन पीढ़ी भी अनुग्रहीत हो।

-सुधा चौधरी, प्रिसिपल आरबीएस पब्लिक स्कूल मुरसान, हाथरस


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