फौजी की एक चाह ने बदल दी गांव की राह
सब हेड बिसावर रोड पर निकलना भी हो गया था दूभर तांगों का आना हो गया था बंद 15 साल पहले वायुसैनिक से सेवानिवृति लेकर गांव लौट आए थे अमर सिंह चौधरी
किशोर वाष्र्णेय, सादाबाद: किसी ने खूब कहा है कि जहां चाह है वहां राह है। अगर किसी इंसान में कुछ करने का जुनून है तो मिट्टी भी सोना बन जाती है। जी, हां ये जुनून सवार हुआ था 15 साल पहले वायुसेना की नौकरी से रिटायरमेंट लेकर आए फौजी चौधरी अमर सिंह पर। उन्होंने ठान ली थी कि उनको अकेले ही बिसावर रोड को ऐसा बनाना है कि खराब होने के कारण जो तांगे बंद हैं वह फिर से रफ्तार पकड़ने लगे। इसी सोच के साथ उन्होंने फावड़ा और परात उठाई और चल दिए अकेले ही अपने मंजिल की ओर। इसके बाद तो गली और मोहल्ले के लोग उनके साथ इस काम में साथ आते गए और राह आसानी होती गई। बरसों से जर्जर बिसावर रोड को चंद दिनों में बनाकर ऐसा कर दिया कि तांगे दौड़ने लगे। ऐसे में फौजी भी गुनगुनाते हैं कि मशहूर शायर मजरूह सुल्तानपुरी की ये शायरी, मैं अकेला ही चला था जानिबे ए मंजिल मगर, लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया। मूल रूप से सादाबाद के बिसावर के रहने वाले अमर सिंह करीब 15 वर्ष पूर्व वायुसेना से सेवानिवृत्त होकर गांव पहुंचे थे। वह बतौर टेक्नीशियन के पद थे मगर सेहत खराब होने के कारण उनको रिटायरमेंट लेना पड़ा। उनका गांव जाने वाले रोड को देख कर माथा ठनका और गांव में बैग रखा और फावड़ा और परात लेकर आ गए। उस खराब रास्ते पर जहां तांगे वालों ने भी आना बंद कर दिया था। उनको देख कुछ लोग तो ये कहकर व्यंग्य कसने लगे कि फौजी के दिमाग का क्या हो रहा है। मगर कुछ लोगों ने जब ये कहा कि शाबाश फौजी तो ये सुनकर फौजी अमर सिंह की छाती फक्र से और चौड़ी हो गई। वह बिसावर रोड को दुरुस्त करने में जुट गए। फौजी दरअसल, बिसावर के ही पास तसींगा के रहने वाले हैं।
हालांकि गांव आते ही उन्होंने शिक्षा विभाग में टीचर के लिए आवेदन किया तो 2013 में नौकरी भी मिल गई। समाजसेवा की मुहिम में कई और लोग जुड़े नतीजा यह रहा। सड़क पूरी तरह से दुरुस्त हो गई। फौजी बताते हैं कि तब से और अब तक मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद गांव के श्मशान घर को भी ठीक कराया गया। इसके अलावा मोहल्ले में आसपास की नालियां भी ठीक कराई और जहां मोहल्ले गंदगी और कीचड़ थी उसको भी लगातार साफ करते रहते हैं। बनाया एक युवा मंच
फौजी बताते हैं कि युवा विचार मंच नामक सामाजिक संस्था का गठन किया, जिसमें 12 युवाओं को जोड़कर गांव की प्रमुख समस्याओं को दूर करने का उद्देश्य बनाते हुए इस पर काम करना प्रारंभ कर दिया। अमर सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा जब यह लॉकडाउन प्रारंभ किया गया तो उन्होंने गांव की कीचड़ व गंदगी को जिसमें से तमाम बीमारियां उत्पन्न होती थीं, उसको समाप्त करने की ठानी और पूरे लॉकडाउन मंच के साथियों के साथ मिलकर गांव के प्रत्येक गली मोहल्ले की नालियों को साफ-सुथरा किया। उन्हें लगा कि इनसे वह अकेले नहीं लड़ पाएंगे, क्योंकि इनकी जड़ें बहुत गहरी हो चुकी हैं। इसके लिए अपने क्षेत्र के युवाओं को साथ में लेकर युवा विचार मंच Xह्नह्वश्रह्ल; के नाम से एक संगठन बनाया। जिसका मुख्य उद्देश्य भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई, स्थानीय चुनाव में अत्यधिक ़खर्च का विरोध व भूमि से अत्यधिक जलदोहन के प्रति लोगों को जागरूक करना है। आज भी मंच के सदस्य अपने स्तर से जितना भी हो सकता है, कोरोना महामारी से लड़ने में अपना सहयोग कर रहे हैं।