सासनी में 30 साल पहले ही जमींदोज हो गई पोखर
सौरभ चक्रवर्ती, सासनी (हाथरस) ये बात सही है कि पोखरें भूजल स्तर को बढ़ाने में काफी सहायक ह
सौरभ चक्रवर्ती, सासनी (हाथरस)
ये बात सही है कि पोखरें भूजल स्तर को बढ़ाने में काफी सहायक होती हैं, लेकिन सासनी की पोखरें तीन दशक पहले ही में जमींदोज हो गईं हैं। यही कारण है कि सासनी आज डार्कजोन में है। सासनी देहात में जो पोखरें हैं, उनका दायरा भी समय के साथ सिकुड़ता जा रहा है। आज इन पोखरों के सुंदरीकरण की जरूरत है, ताकि यहां पर स्वच्छ पानी एकत्रित हो सके। दैनिक जागरण के जलदान अभियान के आठवें दिन की किस्त में सासनी नगर पंचायत की पोखरों की हकीकत पर एक नजर।
सासनी में तीन दशक पहले तक एक पोखर थी, लेकिन वह अनदेखी के कारण जमींदोज हो गई। पोखर के संरक्षण की ओर कोई भी ध्यान नहीं दिया गया। इधर गांव जरैया, बिजाहरी व सासनी देहात भी इसी का हिस्सा हैं। इनका दायरा भी पूरा तरह से सिकुड़ता जा रहा है। आज इन पोखरों की ओर भी ध्यान देने का आवश्यकता है, ताकि बरसात का पानी बर्बाद होने की बजाय इन पोखरों में एकत्रित हो सके और गिरते भूजल स्तर को सुधारे जाने में सहायक हो सके। इन पोखरों में जब साफ स्वच्छ पानी होगा तो पशु पक्षियों को भी पीने के पानी के लिए दिक्कतें नहीं होगी। जब इनमें साफ और स्वच्छ जल होगा और हरियाली होगी तो लोग भी यहां पर आएंगे। इसलिए समय रहते अधिकारियों को इन पोखरों की गहराई करानी चाहिए। सिस्टम का कहना है
यूं तो सासनी कस्बे में कोई भी पोखर नहीं हैं। देहातों में जो पोखरें हैं, बरसात से पहले उनकी गहराई कराते हुए यहां पर साफ सुथरा पानी भी एकत्रित किया जाना चाहिए। इसके लिए वे प्रशासनिक स्तर पर पहल करेंगे।
लालता प्रसाद माहौर, अध्यक्ष
नगर पंचायत सासनी सासनी नगर पंचायत के अधीन कोई भी पोखर नहीं है। देहातों की जो पोखरें हैं उनका सुंदरीकरण कराया जाना चाहिए, ताकि पशु पक्षियों को पीने के लिए पानी मिल सके।
जगदीश प्रसाद शर्मा सासनी नगर पंचायत का दायरा ज्यादा नहीं है, यहां पर देहातों का इलाका सबसे ज्यादा है। पानी पोखरों में होगा तो भूजल स्तर भी काफी बेहतर होगा। इस ओर ध्यान दिया जाए।
प्रकाश चंद शर्मा सासनी नगर पंचायत क्षेत्र में कोई भी पोखर नहीं है। जलस्तर बढ़ाने में पोखरों का विशेष ही महत्व होता है। इस ओर ध्यान दिया जाए।
ई. निर्देश वाष्र्णेय आज के दौर में जरूरत है कि जो पोखरें बची हैं उनकी सुंदरीकरण कराया जाए, ताकि बरसात का पानी यहां पर एकत्रित हो सके।
राकेश गुप्ता