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10 दिन में आए 11 हजार मरीज

जिला अस्पताल की ओपीडी में बढ़ रही मरीजों की संख्या बिगड़ी सेहत -वायरल, मलेरिया, खुजली, खांसी के मरीजों की तादाद रही अधिक -महज 12 चिकित्सकों के सहारे चल रहा बागला जिला अस्पताल

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 12:56 AM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 12:56 AM (IST)
10 दिन में आए 11 हजार मरीज
10 दिन में आए 11 हजार मरीज

संवाद सहयोगी, हाथरस : जिले में मौसम बदलने के साथ ही लोगों की सेहत खराब होने लगी है। लगातार वायरल, खांसी, जुकाम आदि के मरीज बागला जिला अस्पताल की ओपीडी में उपचार कराने पहुंच रहे हैं। पर्याप्त चिकित्सक न होने के कारण मरीजों को बेहतर उपचार नहीं मिल पा रहा है।

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बागला जिला अस्पताल में करोड़ों रुपये की मशीनें इस आशय से लगवाई गई थीं कि गरीब तबके के मरीजों को निश्शुल्क उपचार मिल सकेगा, लेकिन बागला अस्पताल में चिकित्सकों का अभाव होने के कारण बेहतर उपचार मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। पुरुष अस्पताल में 25 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन यहां सिर्फ 12 चिकित्सक ही तैनात हैं। अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ हैं ही नहीं। जो चिकित्सक तैनात हैं, उन्हीं में इमरजेंसी ड्यूटी, वीआइपी ड्यूटी, पोस्टमार्टम ड्यूटी, विकलांग बोर्ड ड्यूटी में समय-समय पर जाना पड़ता है। पिछले कुछ दिनों से वायरल बुखार, खांसी, जुकाम, मलेरिया आदि बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। पर्चा लगवाने के बाद अपनी बारी के इंतजार में मरीजों को काफी जिद्दोजहद करना पड़ता है। पिछले दस दिन में ओपीडी में उपचार कराने के लिए 10,967 मरीज आ चुके हैं। एक दिन में एक हजार मरीजों का आंकड़ा चिकित्सकों की उपलब्धता के अनुपात में बहुत ज्यादा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि चिकित्सक मरीजों को कितना समय दे पाते होंगे। इनकी सुनो-

चिकित्सकों की तैनाती के लिए लगातार शासन को पत्र लिखा जाता है, लेकिन चिकित्सकों की तैनाती नहीं हो पा रही है। वायरल अधिक होने के कारण इस माह मरीजों की संख्या में इजाफा हो जाता है।

-डॉ.आइवी ¨सह, सीएमएस इनसेट-

अस्पताल में वाहन

चोर हुए सक्रिय

बागला जिला अस्पताल में दो पहिया वाहन खड़ा करने के लिए कोई स्टैंड नहीं है। सीएमएस ने दो बार टेंडर प्रक्रिया की, लेकिन कोई ठेकेदार आगे नहीं आया। बता दें कि आए दिन अस्पताल परिसर से मोटर साइकिल व साइकिल चोरी होने के मामले सामने आते हैं। अब तो यह स्थिति यह हो गई है कि यदि मरीज उपचार कराने के लिए अस्पताल आएं तो उनके तीमारदार को बाहर अपने वाहन की रखवारी करनी पड़ती है।


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