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बीमारियों का प्रकोप, अस्पतालों में धक्के खा रहे मरीज

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By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 10:23 PM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 10:23 PM (IST)
बीमारियों का प्रकोप, अस्पतालों में धक्के खा रहे मरीज
बीमारियों का प्रकोप, अस्पतालों में धक्के खा रहे मरीज

हरदोई: बीमारियों का प्रकोप है। पूरे जिले में बुखार का कहर है। आए दिन कहीं न कहीं मौतें भी हो रही हैं, लेकिन इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग नहीं चेत रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो अस्पताल ही बीमार हैं। जिसके चलते मरीजों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है। सीएचसी, पीएचसी पर मरीजों को समुचित उपचार नहीं मिल पाता है। मरीज धक्के खाते घूमते रहते हैं। कहीं दवा नहीं है तो कहीं चिकित्सक नहीं मिलते। बाहर की दवाई लिखकर मरीजों को टरका दिया जाता है। वैसे तो अधिकांश सीएचसी-पीएचसी पर ऐसा ही हाल है। सोमवार को दैनिक जागरण टीम ने कुछ सीएचसी-पीएचसी देखी, उनकी हकीकत ही सिस्टम की पोल खोल रही है।

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16 एचआरडी 21 -स्थान-मल्लावां सीएचसी

समय-10.30 बजे

²श्य: मल्लावां सीएचसी पर खुद जलभराव दिखा। मरीजों की भीड़ लगी थी। डा.अनिल कुमार और संविदा चिकित्सक अजितेज पटेल के साथ ही अधीक्षक डा. अरविद मिश्र खुद मरीजों को देख रहे थे। रोजाना करीब 200 मरीज आते हैं। दवा वितरण काउंटर पर भारी भीड़ थी। मरीजों का कहना था कि उन्हें दवाई तो दी जाती है, लेकिन बाहर की भी पर्ची भी दे दी जाती। महीना पूरा होते होते दवाई ही खत्म हो जाती है। राजेश्वरी, केतकी पर्ची लिए जाती मिलीं। बोली कुछ दवाई मेडिकल से लेनी है। 16 एचआरडी 18, 19 -स्थान- सीएचसी कछौना

समय-11 बजे

²श्य-कछौना अस्पताल ही बीमार दिखा। अस्पताल गिनी चुनी दवाई ही हैं। मरीजों को अधिकांश दवाई बाहर से लिखी जाती है। एक्सरे टेक्नीशियन हैं पर एक्सरे मशीन नहीं हैं। मरीजों का कहना है कि जननी सुरक्षा योजना का लाभ देने के नाम पर खुलेआम वसूली होती है। प्रसूता नीशू, सावित्री, फूलमती बताया कि 300 से 400 रुपये तक देने पड़ जाते हैं। न देने पर जननी सुरक्षा योजना में दिए जाने वाले 1400 रुपये के लिए दौड़ाया जाता है। कहने को तो रोजाना 400 मरीज आते हैं लेकिन सुविधाओं का टोटा है।

16 एचआरडी 22

=स्थान-सीएचसी भरखनी

समय-12 बजे

²श्य- सीएचसी पर चिकित्सक की कुर्सी पर फार्मासिस्ट अवधेश कुमार बैठे मरीजों को देख रहे थे। अस्पताल में चारों तरफ गंदगी फैली थी। दवा लेने आए रमाशंकर, राजू, प्रेमलता, नसरीन बनो ने बताया कि यहां डॉक्टर कभी नहीं आते हैं। फार्मासिस्ट अवधेश आए हैं, यही मरीजों को दवा दे रहे हैं। यहां पानी तक कि व्यवस्था नहीं है। मरीजों का कहना था कि उपचार के नाम पर टरकाया जाता है। ऐसा एक दिन का नहीं रोजाना होता है। मजबूर होकर उन्हें झोलाछापों की शरण में जाना पड़ता है। 16 एचआरडी 20 स्थान-सीएचसी कोथावां

समय-12.30 बजे

²श्य-अस्पताल में मरीजों की लाइन लगी थी। न बिजली थी न जनरेटर। चिकित्सक रजनीश कुमार, अशोक पाल, चंद्रपाल मरीजों को देख रहे थे। लाइन में लगीं नीलू, शगुन, वंदना, अनीता, विनीता, सुशीला, सुशील, अखिलेश का कहना था कि अस्पताल में रोज चक्कर लगा रहे हैं। बुखार की एक दो दिन की दवा थमा दी जाती है। बरसात का मौसम चल रहा है लेकिन खुजली की दवाई तक नहीं है। अस्पताल में डिप्टी डा. स्वामी दयाल निरीक्षण करने पहुंच गए थे। उनका कहना था कि समुचित व्यवस्थाएं हैं।

16 एचआरडी 23

स्थान-सीएचसी टोडरपुर

समय-1.00 बजे

²श्य- अस्पताल में सन्नाटा पसरा था। कुछ मरीज बैठे थे। महताब ने बताया कि दवा तो दे दी गई लेकिन ट्यूब नहीं मिला। ममता ने बताया कि वह बुखार की दवा लेने आई थी। चिकित्सक ने नहीं देखा, दवा दी गई है। अधीक्षक कक्ष में डा. शफात अली मरीजों को देखते मिली। उनका कहना था कि मरीजों की संख्या बढ़ी है, सभी को दवा दी जाती है। दूसरी तरफ मेडिकल स्टोरों पर मरीजों की भीड़ दावे की पोल खोल रही थी। राजेश को हड्डी की दवा लेनी थी, कह दिया गया कि हरदोई जाओ।


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