मगफिरत का दूसरा अशरा शुरू, रोजेदारों को गुनाहों से मिलेगी माफी
मल्लावां : रमजान उल मुबारक के पहले रहमत के अशरे में रहमत की बारिश के बाद रविवार स
मल्लावां : रमजान उल मुबारक के पहले रहमत के अशरे में रहमत की बारिश के बाद रविवार से मगफिरत का दूसरा अशरा शुरू हो गया। जिसमें रोजेदार अपने अल्लाहताला से अपने गुनाहों को माफ कराएंगे। जिसके चलते मस्जिदों व घरों से तिलावत की आवाजें आ रही हैं।
मुस्लिम भाइयों के रमजान उल मुबारक माह को तीन अशरों में बांटा गया है। पहला अशरा एक से 10 रोजा तक होता है, जिसको रहमत का आसरा कहते हैं। जिसमें अल्लाहतआला अपने रोजेदारों के लिए रहमत नाजिल करते हैं, ताकि रोजेदार अपने आ़खरित के लिए अच्छा कर सकें। शनिवार को पहला अशरा खत्म हो गया। दूसरा अशरा मगफिरत का होता है जो 11 से 20 रोजे का होता है। जिसमें अल्लाहतआला अपने रोजेदारों के गुनाहों को माफ करते हैं। इस अशरे की फजीलत के बारे में बताते हुए हाफिज जीशान इदरीसी कहते हैं कि अल्लाहतआला दूसरे अशरे में फरिश्तों के जरिये अपने बंदों के लिए यह ऐलान कराते हैं कि कोई है जो अपने गुनाहों को माफ कराने वाला। जिसके जरिये रोजेदारों के गुनाहों को माफ करते हैं। उनके लिए जन्नत का दरवाजा खोल देते हैं। तीसरा अशरा जहन्नम की आजादी का होता है। जो 21 से 30 रोजे तक का हो सकता है। जिसमें अल्लाह तआला अपने बंदों को जहन्नम से आजादी फरमाते हैं। रमजान उल मुबारक के तीनों ही अशरे आ़खरित के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। श्री इदरीसी कहते हैं कि अल्लाहतआला इस माह जन्नत के आठ दरवाजे खोलते हैं। पर जो रोजेदार रोजा रखता है उसको Þबावे रस्यानÞ दरवाजे से जन्नत में दाखिल किया जाएगा। अल्लाहतआला रोजा इफ्तार के समय रोज ही 10 लाख गुनाहगार बंदों को जहन्नम से आजाद करते हैं। वह बताते हैं कि कोई व्यक्ति या रोजेदार रमजान में रोजा इफ्तार कराता है तो उसे भी एक रोजे का सवाब मिलता है। रमजान में रोजा के साथ नमाज, तरावीह, कुरान शरीफ की तिलावत भी जरूरी होती है और जकात, फितरा निकलना भी जरूरी होता है।
हाफिज डा. मुश्ताक मल्लानवी बताते हैं कि रोजा रखना सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। रोजा ऩफ्स को रोकता है, रोजा बुराई को रोकता है, रोजा हराम कर्म करने से रोकता है, रोजा हर बुराई को करने से रोकता है, रोजा की हालत में झूठ नहीं बोलना चाहिए, रोजा पूरे शरीर का होता है, रोजा मुंह के साथ आंख, कान, नाक सहित पूरे शरीर का होता है। वह बताते हैं कि हमें इस माह दीन की बातें करनी चाहिए। दुनिया की बातें रोजे के वक्त कम ही की जाएं तभी अल्लाहतआला अपने बंदों पर खुश होता है और उन्हें जन्नत अता फरमाता है।