‘जुगाड़’ वालों के बन रहे आधार कार्ड
हरदोई: उदाहरण एक: टड़ियावां के गोपालपुर निवासी शिवप्रसाद बच्चों का आधार कार्ड बनवाने के लिए परेशान हैं। ब्लाक पर किसी ने सुना नहीं। दो दिन से डाकघर आ रहे हैं, लेकिन बच्चों का आधार कार्ड नहीं बन पाया। उदाहरण दो: सुरसा के कुमरापुर के सुभाष डाकघर के बाहर बच्चों के लिए खड़े मिले। बोले जहां जाओ रुपये मांगे जा रहे हैं। 10 रुपये का आवेदन पत्र और 50 रुपये भरने का लिया जाता है। बीआरसी पर आधार बन ही नहीं रहे हैं।
विद्यालयों में बच्चों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है। शासन स्तर से भी बच्चों के आधार कार्ड पर जोर है। इतना सब कुछ होने के बाद भी बच्चों के आधार कार्ड को लेकर विभाग गंभीर नहीं हैं। कहने को तो ब्लाकों पर आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं, लेकिन यह सब कागजों में हो रहा है। बच्चों के साथ अभिभावक धक्के खाते घूम रहे हैं, लेकिन उनकी तरफ देखने वाला कोई नहीं है।
परिषदीय विद्यालयों में पंजीकृत करीब पांच लाख नौ हजार 135 बच्चों में सभी का आधार जरूरी है। देखा जाए तो अभी तक करीब 40 फीसद बच्चों के आधार बने नहीं हैं या फिर उनमें कुछ खामी है। बच्चों के आधार कार्ड बनाने और संशोधन के लिए बीआरसी पर दो दो मशीनें दी गईं थी। व्यवस्था थी कि अध्यापक बच्चों के साथ अभिभावकों को बीआरसी भेजें और वहां पर आधार कार्ड बनें, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। बीआरसी पर केवल खानापूरी हो रही है। कई स्थानों पर तो मशीन ही खराब हैं। ऐसे में जो अभिभावक बच्चों को लेकर बीआरसी जाते हैं उन्हें शहर जाने की सलाह दी जाती है और परेशान अभिभावक डाकघर या फिर अन्य स्थानों पर बच्चों के लेकर भटकते रहते हैं, जिनका जुगाड़ होता है उनके आधार तो बन जाते हैं। बाकी परेशान घूमते रहते हैं।
-बीआरसी पर आधार कार्ड बनवाए जा रहे हैं, इसके लिए टीम लगी हुई हैं। रोजाना इसकी समीक्षा भी होती है। अध्यापकों को निर्देशित किया गया है कि जिन बच्चों के आधार कार्ड नहीं हैं, उन्हें बीआरसी भेजें। अगर कोई मनमानी करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।---वीपी सिंह, बीएसए