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महाकवि बाणभट्ट के नाम से पड़ा बाण गांव का नाम

हरदोई : कछौना विकास खंड मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर स्थित बाण गांव की साक्षरता 90 फीसद से

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 10:58 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 10:58 PM (IST)
महाकवि बाणभट्ट के नाम से पड़ा बाण गांव का नाम
महाकवि बाणभट्ट के नाम से पड़ा बाण गांव का नाम

हरदोई : कछौना विकास खंड मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर स्थित बाण गांव की साक्षरता 90 फीसद से अधिक है। संपन्नता के साथ उच्च प्रशासनिक सेवा में बढ़-चढ़कर भागीदारी रही है। बुजुर्ग ग्रामीणों की माने तो महाकवि बाणभट्ट का निवास इसी गांव में था। जिनके महल का टीला गांव के दक्षिण तरफ आज भी इतिहास की गवाही दे रहा है।

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कहावत है कि बाण भट्ट के निवास स्थान होने के वजह से ही गांव का नाम बाण पड़ा। गांव में बिजली, पानी, सड़क आदि की सुविधाएं हैं।

इन पर है नाज : गांव में अधिकांश लोग साक्षर हैं। इसके अलावा गांव के कई ऐसे लोग हैं जिन पर लोगों को नाज है। प्रसिद्ध कथावाचक तुरंत नाथ दीक्षित ,प्रख्यात वैद्य सूरज प्रसाद शुक्ला एवं कवि छैल बिहारी बाजपेई के अलावा राष्ट्रीय कवि वेदव्रत बाजपेई उनके पुत्र मनोवृत्ति बाजपेई ने गांव का नाम पूरे देश में रोशन किए है। प्रख्यात ज्योतिष आचार्य गोवर्धन लाल तथा प्रसिद्ध तबला वादक धरणीधर दीक्षित उनके पुत्र राम बहादुर दीक्षित की कविताओं का साहित्य क्षेत्र में योगदान है। शिक्षा के क्षेत्र में लज्जाराम बाजपेई डिप्टी डायरेक्टर रहे। उनकी पुत्री उमा त्रिपाठी हरदोई सदर विधायक रही हैं। राजाराम बाजपेई, मेवाराम बाजपेई आदि प्रशासनिक अधिकारी रहे हैं। गांव के गौरव कहे जाने वाले नवीन चंद्र बाजपेई प्रदेश के मुख्य सचिव एवं इंग्लैंड में भारत के राजदूत सहित विभिन्न पदों पर रहे हैं। गांव में दुलार से अंजू कहे जाने वाले अमेरिका में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं नगर के जनता इंटर कॉलेज के संस्थापक प्रधानाचार्य रहे स्वर्गीय बृज बिहारी बाजपेई के पुत्र विनय बाजपेई भी अमेरिका में रहकर गांव कानाम रौशन कर रहे हैं। यह है गांव की पहचान : बाणभट्ट के किले का टीला एवं तेजा शाह द्वारा निर्मित ठाकुरद्वारा एवं नकटी देवी मंदिर जो आज जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं। इनके जीर्णोद्धार की आवश्यकता है। आधारभूत ढांचा : ग्राम पंचायत की आबादी लगभग ढाई हजार की है। 1300 मतदाता हैं। ग्राम पंचायत में बाण व पैरा दो गांव आते हैं। दोनों ही गांव राजस्व गांव हैं। पूरी तरह से ओडीएफ हो चुके हैं। साक्षरता दर अधिक होने की वजह से लोग जागरूक हैं। यह हो तो बने बात : पशुचर भूमि, तालाब आदि पर से यदि कब्जा हट जाए तो इसका लाभ पूरे गांव को मिले। बोले प्रधान : गांव के प्रधान देवी शंकर शुक्ला उर्फ झल्लू बताते हैं कि वह गांव के तीसरी बार प्रधान हैं। वर्ष 2010 में आरक्षण की वजह से गांव का पद अनुसूचित जाति में होने की वजह से गुरु प्रसाद को चुनाव लड़ाया था और जीत भी हुई थी। पुन: चुनाव होने पर वह प्रधान बने हैं। उनका सपना है कि गांव में सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हों। इसकी शासन-प्रशासन से कई बार मांग भी कर चुके हैं कि गांव में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा पुलिस चौकी की स्थापना की जाए।


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