पांच साल के मिड-डे मील का मांगा हिसाब
हरदोई: मध्यांहन भोजन योजना में सितंबर 2005 से नवंबर 2010 के बीच भेजी गई धनराशि में 12 करो
हरदोई: मध्यांहन भोजन योजना में सितंबर 2005 से नवंबर 2010 के बीच भेजी गई धनराशि में 12 करोड़ 72 लाख का हिसाब तलाशा जा रहा है। शासन स्तर से सख्ती के बाद जहां जिला पंचायत राज अधिकारी की तरफ से प्रधानों से हिसाब लेने को पत्र लिखा गया है। वहीं बीएसए ने खंड शिक्षा अधिकारियों से भी हर साल भेजी गई धनराशि और खाद्यान के साथ मिड-डे मील खाने वाले बच्चों की संख्या मांगी है।
परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को मिड-डे मील खिलाने की व्यवस्था पूर्व में ग्राम पंचायतों के पास थी और उन्हीं के खातों में धनराशि भी भेजी जाती थी। वर्ष 2009-10 से वित्तीय वर्ष 2014-15 तक 24 जिलों में भेजी गई धनराशि की नियंत्रक महालेखा परीक्षा भारत सरकार के लेखा परीक्षक दल से जांच कराई गई। हरदोई में जांच के दौरान वर्ष 2008-2009 में भेजी गई धनराशि में 12 करोड़ 72 लाख का हिसाब नहीं मिला था। आडिट में मामला पकड़ में आया और फिर लोक लेखा समिति के सामने भी उठने वाला है। मध्यांहन भोजन प्राधिकरण के निदेशक ने जांच के लिए शासन को पत्र लिखा था। जिसके बाद से खलबली मच गई। बीएसए ने जिला पंचायत राज अधिकारी को पत्र लिखकर प्रधानों से धनराशि का हिसाब लेने की बात कही थी। वहीं खंड शिक्षा अधिकारियों को भी लगाया जा रहा है। क्योंकि प्रधानों के साथ प्रधानाध्यापक भी शामिल थे। उसी को लेकर बीएसए ने खंड शिक्षा अधिकारियों को भी लगाया है। जिसमें प्रति वर्ष भेजी गई धनराशि और खाद्यान के साथ ही उसके उपभोग, शेष बची राशि और कितने बच्चों ने खाना खाया इसकी पूरी जानकारी मांगी है।