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साहित्य ही मानव सभ्यता और संस्कृति का परिचायक

हरदोई : डा. राममनोहर लोहिया महाविद्यालय अल्लीपुर में साहित्य साधकों की निर्माण कार्यशाला

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 11:46 PM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 11:46 PM (IST)
साहित्य ही मानव सभ्यता और संस्कृति का परिचायक
साहित्य ही मानव सभ्यता और संस्कृति का परिचायक

हरदोई : डा. राममनोहर लोहिया महाविद्यालय अल्लीपुर में साहित्य साधकों की निर्माण कार्यशाला आयोजित की गई। दो दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग के समापन सत्र में मुख्य वक्ता व राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर ने कहा कि सृजनात्मक देश भक्ति पूर्ण साहित्य रचना के लिए साहित्यकारों का सामाजिक धरातल से जुड़ी हुई अनुभूतियों को लेखनबद्ध करने की वर्तमान समय में महती आवश्यकता है।

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डा. पवनपुत्र बादल महामंत्री ने कहा कि मानव सभ्यता और मां वीणापाणि की सृष्टि निर्माण में साहित्य का महत्वपूर्ण योगदान है। आजकल तुकबंदी को लेखन समझा जा रहा है। वहीं बहुत से साहित्यकार लोकमंगल की भावना से तुलसीदास और कबीरदास की साहित्य परंपरा का निर्वाहन मनोयोग से कर रहे हैं। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. सुशील चंद्र त्रिवेदी मधुपेश ने कहा कि साहित्यकार सामाजिक संरचना के पुष्प के वर्तिकाग्र की भूमिका में समाज से उपयोग जानकारियों को प्राप्त कर साहित्य रूपी वर्तिका में मकरंद की तरह संचित करते हैं, जिससे भावी पीढ़ी को जीवनोपयोगी और मार्गदर्शक साहित्य का ज्ञानकोष प्राप्त होता है। श्री विजय ने कार्यक्रम का संचालन तथा आभार शिवमंगल ¨सह ने किया। इस मौके पर उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड के लगभग 150 साहित्यकारों ने समाज के हित में साहित्य लेखन की बारीकियों व विभिन्न विधाओं का प्रशिक्षण प्राप्त किया।


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