मत विमत: नेता अमर्यादित बयानबाजी के बजाय मुद्दों पर रखें बात
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हरदोई: जनसभाओं में भीड़ जुटाने और उसे बैठाए रखने के लिए मुद्दों से ज्यादा आरोप प्रत्यारोप लगाकर बयानबाजी हो रही है। विकास के मुद्दे धीरे धीरे जनसभाओं से दूर होते जा रहे हैं। राजनीतिक दल और उनके नेता एक दूसरे को निशाने पर तो ले रहे हैं, लेकिन उन्हें मर्यादा की सीमा नहीं लांघनी चाहिए। समाज के विभिन्न लोगों का ऐसा ही कहना है। रामपुर में सपा नेता द्वारा दिया गया बयान पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। महिला संगठन उसका विरोध कर रहे हैं। महिलाओं का कहना है कि नेताओं को ऐसी बयानबाजी के बजाय मुद्दों पर अपनी बात रखनी चाहिए और उन्हीं से देश का भला होगा।
डा. सविता सिंह का कहना है कि देश की तरक्की कैसे होगी। सीमाएं सुरक्षित कैसे रहेंगी। बेरोजगारों को रोजगार कैसे मिलेगा। नेताओं की क्या प्राथमिकता है, उस पर कोई नहीं बोल रहा है। एक दूसरे के ऊपर आरोप लगा रहे हैं। खासकर महिलाओं को लेकर जो टिप्पणी की जा रही है वह निदनीय है। डा. सवा खातून कहती हैं कि राजनीतिक दलों को समझाना चाहिए कि वह अपने चुनावी घोषणा पत्र को कैसे पूरा करेंगे। उन्होंने क्या योजना बनाई है जिससे जो कहा है वह पूरा होगा। ऐसा करने से मर्यादा तो बनी ही रहेगी, लोगों का भी विश्वास जगेगा पर ऐसा नहीं हो रहा है। प्रिया ओमर ने रामपुर में सपा नेता के बयान की निदा करते हुए कहा कि ऐसा बयान महिला समाज के लिए अपमानित करने वाला है। नेताओं को समझना चाहिए कि उनके घर में भी बहू बेटियां होती हैं। मनीषी कहती हैं कि जो नेता ओछे बयान देते हैं उनके पास बोलने के लिए कोई मुद्दा ही नहीं होता। तभी ऐसे बयान देकर सस्ती लोकप्रियता हासिल करते हैं। महिलाओं का कहना है कि जो महिलाओं के प्रति अपमानजनक बयान दे उसके ऊपर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि वह औरों के लिए नजीर बने।