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मौसम से लगता है डर, चुनाव तो हम देख ही लेंगे

16 एचआरडी 02 -चुनावी बयार में शामिल किसान फसल घर पहुंचाने की जल्दी जागरण संवाददाता हरदोई खेतों में सुनहरी बालियां लहलहा रही हैं। इसके लिए ही अन्नदाता दिन रात एक किए रहते हैं। इन पर उनके सपने भी टिके हैं लेकिन कभी आंधी बारिश तो कभी ओलावृष्टि से उनकी उम्मीदें खेतों में ही दफन हो जाती हैं। वैसे तो चुनावी माहौल भी चल रहा है। अन्नदाता भी उसमें उत्साह से शामिल हैं पर किसानों को जल्दी से जल्दी फसल घर पहुंचाने की चिता है। पिछले कई दिनों से पड़ रही गर्मी के बाद मंगलवार की सुबह से ही मौसम ने करवट ली। बादल छा गए तेज हवा भी चलने लगी और बूंदाबांदी भी शुरू हो गई। मौसम को देखते हुए किसानों की धड़कन बढ़ गई है। पूरा का पूरा परिवार खेतों में दिख रहा है। बावन मार्ग पर खेतों में लोग दिखे उनके बच्चे भी साथ थे। गेंहू की फसल काटने के साथ ही जल्दी से जल्दी उसे उठाने में लगे है लेकिन पहले खेत। अगर फसल घर नाहीं पहुंची तो कोई

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 10:54 PM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 10:54 PM (IST)
मौसम से लगता है डर, चुनाव तो हम देख ही लेंगे
मौसम से लगता है डर, चुनाव तो हम देख ही लेंगे

हरदोई: खेतों में सुनहरी बालियां लहलहा रही हैं। इसके लिए ही अन्नदाता दिन रात एक किए रहते हैं। इन पर उनके सपने भी टिके हैं, लेकिन कभी आंधी, बारिश तो कभी ओलावृष्टि से उनकी उम्मीदें खेतों में ही दफन हो जाती हैं। वैसे तो चुनावी माहौल भी चल रहा है। अन्नदाता भी उसमें उत्साह से शामिल हैं पर किसानों को जल्दी से जल्दी फसल घर पहुंचाने की चिता है। पिछले कई दिनों से पड़ रही गर्मी के बाद मंगलवार की सुबह से ही मौसम ने करवट ली। बादल छा गए, तेज हवा भी चलने लगी और बूंदाबांदी भी शुरू हो गई। मौसम को देखते हुए किसानों की धड़कन बढ़ गई है। पूरा का पूरा परिवार खेतों में दिख रहा है। बावन मार्ग पर खेतों में लोग दिखे, उनके बच्चे भी साथ थे। गेहूं की फसल काटने के साथ ही जल्दी से जल्दी उसे उठाने में लगे थे। पास जाकर देखा तो वह भइयालाल का परिवार था। चुनाव के बारे में पूछा तो बिना सिर उठाए कहा चलि रहो हई। कुछ और कहते उससे पहले बोल पड़े अब चुनाव देखई या खेत। मौसम से डर लगि रहो है। खून पसीना से सींची फसल पहिले घर भेजि देईं। उससे पूछा कोई नेता नहीं आया। बोले बहुत आए, लेकिन नारेबाजी को समय नाही हई। बस वोट देइवे हई दीवो। उनके ऊपर पिछले साल फसल बर्बादी का खौफ दिख रहा था। भइयालाल के साथ मुन्नी, रामजीत, रामप्रवेश, मीरा देवी सभी फसल उठाने में जुटे थे। आगे जाकर देखा तो सभी खेतों में जोरदार कटाई चल रही थी। राजकुमार ट्रैक्टर-थ्रेसर से गेहूं की गहाई की तैयारी में लगे थे। बोले भइया चुनाव की हमई चिता है लेकिन पहले खेत। अगर फसल घर नाहीं पहुंची तो कोई पूरू नहीं कर दी। मौसम का असर किसानों पर दिख रहा है। चुनावी बयार में वह भी शामिल हैं लेकिन उन्हें फसल की चिता सता रही है।

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