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बन जाए पत्थर का बांध तो रुक जाए तबाही

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By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 11:10 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 11:10 PM (IST)
बन जाए पत्थर का बांध तो रुक जाए तबाही
बन जाए पत्थर का बांध तो रुक जाए तबाही

रोटी, कपड़ा और मकान। उनका भी यह सपना है। अच्छा घर हो, बच्चे स्कूल जाएं। परिवार खुश रहे, मेहनत वह भी करते हैं। पर अफसोस की बात उनकी मेहनत पर हर साल पानी फिर जाता है। बिलग्राम क्षेत्र के कटरी निवासी दो दर्जन से अधिक गांवों के परिवार हर साल बसते और उजड़ते हैं। जब बाढ़ आती है तो तबाही मच जाती। वैसे गंगा में जरा सा भी पानी बढ़ने से कटरी क्षेत्र डूब जाता है। ऐसा नहीं कि इसका कोई समाधान है। समाधान है और आश्वासन भी मिले। हर सरकार में उन्हें पत्थर से बांध बांधने का वादा किया गया। पत्थर लगवाने का सपना दिखाकर चले गए और पांच साल लौटकर नहीं आए। बिलग्राम क्षेत्र के लोगों का दर्द जानने के लिए दैनिक जागरण छिबरामऊ में प्रवीण सिंह की चौपाल पर लोगों के साथ मिलकर बात की तो सभी दिल खोलकर बोले। कोई 60 साल से देख रहा है तो किसी की पत्थर की चाहत में आंखे पथरा गई हैं पर बांध नहीं बंधा। हर साल बाढ़ आती है और अपने पीछे तबाही छोड़ जाती है। गंगा में जरा से पानी बढ़ते ही उनके गांव और घर समा जाते हैं और फिर लोग सड़कों पर आ जाते। चौपाल में सामने आई ग्रामीणों की बात... जागरण संवाददाता, हरदोई: गंगा में पानी बढ़ने से कटरी क्षेत्र के दो दर्जन से अधिक गांव पानी में समा जाते हैं। डा. श्रीकृष्ण सिस्टम से खिन्न हैं, बोले हर बार नेता आश्वासन देकर चले जाते हैं। फिर लोग इंतजार करते रहते हैं। साहिबलाल बोले उनके देखते देखते न जाने कितने गांव पानी में समा गए लेकिन किसी भी नेता ने उन्हें बसाने का प्रयास नहीं किया। शामल सिंह नेताओं से नाराज हैं। कहते हैं कि एक नहीं सभी एक से हैं। राजन सिंह बोले बाढ़ से फसल चली जाती है। 20 गांव गंगा में समा जाते हैं। बढ़े नेता तक आते हैं लेकिन किसी ने वादा पूरा नहीं किया। पत्थर लगाने का वादा कर जाते हैं फिर लौटकर नहीं आते। किसान तबाह होते हैं। शिक्षा का भी कोई इंतजाम नहीं है। भुवनेश्वर प्रसाद कहते हैं कि बाढ़ आती है कई गांव चले गए, काफी नुकसान होता है। किसान हर साल तबाह होता है।

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फसल खराब हो जाती है। सरकार आती और लौट के कोई हाल तक नहीं पूछता है। देवी प्रसाद बोले कि 64 साल है। आठ चुनाव देखे सभी वादा कर गए लेकिन कोई लौटकर नहीं आया। प्रतिवर्ष बाढ़ आती है, केवल खानापूर्ति होती है। पत्थर का वादा करके गए थे लेकिन लौटकर नहीं आया। निजी स्कूलों की दुकानें लगी हैं। झब्बा कहते हैं कि नेता आए और चले गए, कह गए जीत जाएंगे तो करेंगे पर नहीं किया। जनता परेशान है। कोई हाल तक देखने नहीं आता। चेतराम बोले मुसीबत में जनता फंसी है। वादा किसी नेता ने नहीं पूरा किया। नेता आए सब एक से ही हैं। चंद्रेश सिंह कहते हैं कि नेता सरकार तक नहीं पहुंचाते हैं। सबसे पीछे वाली कुर्सी पर बैठते हैं। जनता की कोई आवाज उठा ही नहीं पाता है। लोग बेघर हो गए लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। केवल खानापूर्ति ही होती है। विजय पाठक तुरंत बोले कि बाढ़ में जीना दुश्वार हो जाता है। सरकारें पैकेट बांट देती हैं। छत पर बैठकर खाना बनाते हैं। बंधा बंध जाए तो बाढ़ से राहत मिल जाएगी पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। रामप्रकाश नेताओं से नाराज हैं कहते हैं कि कम से कम जनता का भी हाल ले लें। 13 एचआरडी 02

सरकारें आती हैं, कहा जाता है लेकिन आश्वासन ही मिलते हैं। न बंधा बंधवाए न कुछ। बच्चे स्कूल तक नहीं जा पाते हैं। छतों पर खाना बनाते हैं। इस बार बना दो बस काम करेंगे। श्यामल सिंह 13 एचआरडी 03 खाना पीना तक की दिक्कत हो जाती है। जनजीवन परेशान हो जाता है। उनकी तरफ भी ध्यान दें। ऐसी सरकर बने जो किसानों की तरफ ध्यान दे। हम लोग मांग करते करते परेशान हो गए हैं।

सुरेश कुमार 13 एचआरडी 04

बाढ़ में किसी ने काम नहीं किया। भाजपा ने वादा किया था, बंधा बंधवाने का वादा किया गया था। उसके बाद कोई लौटकर आता ही नहीं। शिक्षा का कोई इंतजाम नहीं है। कोई राजकीय विद्यालय नहीं हैं।

डा.श्रीकृष्ण 13 एचआरडी 05

हर चुनाव में नेता आते हैं और वादा कर चले जाते हैं। उसके बाद कोई नहीं आता। किसान रोते रहते हैं। जानवरों तक को खाने के लिए नहीं बचता है। छतों पर खाना बनता है। 13 एचआरडी 06 बाढ़ से जो बचता है, पशु खा जाते हैं। किसानों के पास खेतीबाड़ी के अलावा कुछ है भी नहीं। सरकारों को चाहिए कि जो मदद कर रही हैं, उसमें किसानों की फसल की भरपाई भी कराई जाए। साहब लाल


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