शहर से लेकर गांव तक कोचिग संस्थानों की भरमार
स्कूलों में शिक्षण सत्र की पर विभागीय अफसरों की कार्रवाई खानापूर्ति तक सीमित है।
हरदोई : माध्यमिक स्कूलों में शिक्षण सत्र की शुरुआत हुए एक पखवारा बीत गया है, जिसके चलते शहर से लेकर गांव तक कोचिग संस्थानों की बाढ़ सी आ गई हैं। अधिकतर कोचिग संस्थान बिना पंजीकरण संचालित हो रहे हैं, जिस पर विभाग अंकुश लगाने में कामयाब साबित नहीं हो रहा है। यह कोचिग संस्थान माध्यमिक शिक्षा परिषद के राजस्व को चूना लग रहे हैं। अवैध रूप से संचालित कोचिग संस्थानों पर विभागीय अफसरों की कार्रवाई खानापूर्ति तक सीमित है।
माध्यमिक शिक्षा विभाग में दो सैकड़ा से अधिक कोचिग संस्थान संचालित है। इनमें अधिकतर कोचिग संस्थान बंद हो चुके हैं, या फिर संचालकों ने दोबारा पंजीकरण नहीं कराया है। विभाग की ओर से बिना पंजीकरण संचालित हो रहे कोचिग संस्थानों पर अंकुश लगाने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई हैं, जिससे संचालकों के हौसले बुलंद है। कोचिग संचालक छात्र-छात्राओं ने मनमानी फीस वसूल करते है। जिला विद्यालय निरीक्षक वीके दुबे का कहना है कि चुनाव के चलते व्यवस्तता अधिक है। चुनाव ड्यूटी समाप्त होने के बाद कोचिग संचालकों की मनमानी पर अंकुश लगाया जाएगा। बिना पंजीकरण संचालित कोचिग संचालकों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कोचिग संचालन के यह हैं नियम व पंजीयन शुल्क : जिला विद्यालय निरीक्षक के अनुसार कोचिग संचालकों को हर तीसरे वर्ष विभाग में पंजीकरण कराना अनिवार्य है। कोचिग संचालक को 20 छात्र-छात्राओं एक हजार, 50 छात्र-छात्राओं पर पांच हजार, 100 छात्र-छात्राओं पर 10 हजार और इससे अधिक छात्र-छात्राओं का शिक्षण कार्य कराने पर 25 हजार पंजीयन शुल्क जमा करना होता है। बिना पंजीकरण जमा किए कोचिग का संचालन अवैध माना जाएगा।