परवान नहीं चढ़ रही डिजीलॉकर व एम-परिवहन एप की व्यवस्था
स्त्रद्बद्दद्ब द्यश्रष्द्मद्गह्म स्त्रद्बद्दद्ब द्यश्रष्द्मद्गह्म स्त्रद्बद्दद्ब द्यश्रष्द्मद्गह्म
हरदोई : परिवहन विभाग की डिजीलॉकर व एम-परिवहन एप की व्यवस्था परवान नहीं चढ़ पा रही है। इसको लेकर अधिकांश लोगों में जागरूकता की कमी है, जो लोग जागरूक हैं, वह भी इस व्यवस्था को अपनाने से बच रहे हैं। चालक वाहन के साथ अभिलेख रखना अधिक सुरक्षित समझते हैं। विभागीय आंकड़ों में लाखों की संख्या में वाहन है। विभाग की ओर से साढ़े तीन सौ लोगों को दोनों एप अपलोड कराए गए, जबकि पूरे जिले में दोनों एप अपलोड करने वालों की संख्या चार हजार तक पहुंच पाई है।
परिवहन निगम की डिजीलॉकर व एम-परिवहन एप की व्यवस्था को लेकर शुरुआती दौर में काफी प्रचार हुआ, लेकिन यह व्यवस्था लोगों की समझ में नहीं आ रही है। वाहन चालकों का मानना है दोनों एप इंटरनेट होने पर ही काम करते हैं। ऐसे में मोबाइल स्वीच ऑफ होना या फिर नेटवर्क न आने पर चेकिग के दौरान समस्या हो सकती है। इसके चलते लोग अपने वाहन के साथ अभिलेख रखना अधिक सुरक्षित समझते हैं। यातायात प्रभारी कमलेश कुमार ने बताया कि चेकिग के दौरान एक या दो लोग ही एप के माध्यम से वाहन के अभिलेख दिखाते हैं।
डिजीलॉकर व एम-परिवहन एप में वाहन से जुड़े अभिलेख रखना ज्यादा सुरक्षित
अगर आप जल्दी में वाहन से जुड़े अभिलेख घर भूल आए हो और चेकिग के दौरान वाहन पकड़ जाए। तो डिजीलॉकर और एम-परिवहन एप में अपलोड किए गए वाहन से जुड़े अभिलेख आपके काम आ सकते हैं। चेकिग के दौरान दोनों एम पर अपलोड किए गए अभिलेख अधिकारी को दिखाने पर मान्य होंगे। डिजीलॉकर में बीमा व प्रदूषण, एम-परिवहन में आरसी व ड्राइविग लाइसेंस के रख सकते अभिलेख
मोबाइल पर अपलोड डिजीलॉकर एप वाहन का बीमा, प्रदूषण आदि अभिलेख रखने की व्यवस्था है। जबकि एम-परिवहन एप में आरसी और ड्राइविग लाइसेंस अपलोड किए जा सकते है। दोनों एप में अपलोड अभिलेखों के खराब होने का खतरा भी नहीं होता। लोग अपने अभिलेख घर पर रखकर निश्चित होकर वाहन चला सकते है। अधिकारी बोले ..
डिजीलॉकर व एम-परिवहन एप एंड्रॉयड फोन में अपलोड किए जा सकते हैं। लोग डिजीलॉकर में बीमा, प्रदूषण व अन्य अभिलेख रख सकते हैं। इसी तरह एम-परिवहन एप में आरसी व ड्राइविग लाइसेंस अपलोड किया जा सकता है। दोनों एप में अपलोड किए गए अभिलेख मान्य हैं। इसको लेकर लगातार जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है और लोग जागरूक भी हो रहे हैं। अभियान के दौरान उनकी ओर से अब तक साढ़े तीन सौ लोगों के मोबाइल पर एप अपलोड कराया गया, जबकि पूरे जिले में दोनों एप अपलोड करने वालों की संख्या चार हजार है।
दीपक शाह, एआरटीओ प्रशासन