अपहरण के अभियोग में चचेरे भाई को आठ वर्ष की सजा
28 अक्टूबर 1997 की रात में उनके यहां डकैती पड़ गई थी। घटना के तीन दिन बाद उनके चचिया ससुर जदुनाथ के लड़के श्रीबाबू व अन्य उनके पति गिरीश बाबू को घर से मुकदमे की पैरवी के बहाने से ले गए थे।
हरदोई : सांडी थाना क्षेत्र में 21 वर्ष पहले हुए अपहरण के मामले की सुनवाई करते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रत्नेश कुमार श्रीवास्तव ने फैसला सुनाया है। उन्होंने मामले में आरोपित को आठ वर्ष का कारावास और दस हजार रुपये का अर्थदंड जमा करने की सजा सुनाई है।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता कौशल किशोर त्रिपाठी के अनुसार के घटना की रिपोर्ट सांडी थाना क्षेत्र के रसूलपुर गोंगा निवासी गायत्री देवी ने थाने पर 18 जनवरी 1998 को दर्ज कराई थी। जिसमें कहा गया है कि 28 अक्टूबर 1997 की रात में उनके यहां डकैती पड़ गई थी। घटना के तीन दिन बाद उनके चचिया ससुर जदुनाथ के लड़के श्रीबाबू व अन्य उनके पति गिरीश बाबू को घर से मुकदमे की पैरवी के बहाने से ले गए थे। जब काफी दिनों तक पति नही लौटे तो उसने थाने पर रिपोर्ट दर्ज कराई। तीन महीने बाद अपहृत गिरीश बाबू आरोपियों के चंगुल से छूटकर घर लौटे। अदालत ने आरोपित श्रीबाबू को अपहरण के अपराध का दोषी पाया और आठ वर्ष की कैद व दस हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। आदेश दिया है कि अर्थदंड की आधी-आधी राशि वादिनी व गिरीश बाबू को दी जाए।