फाइलों की कैद से निकलेगी 'निर्मल गंगा' की कवायद
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हरदोई : गंगा को अविरल एवं निर्मल बनाने के लिए गंगा किनारे के गांवों में सॉलिड एवं लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट के कार्य कराए जाने हैं। जिले की 13 ग्राम पंचायतों के 17 गांवों के घरों से निकलने वाले सॉलिड एवं लिक्विड वेस्ट के गंगा में प्रवाहित होने पर विराम लगाने के लिए एक फिर से फाइल खोली गई है। पंचायतीराज विभाग ने जिला ग्राम्य विकास अभिकरण के साथ मिलकर कार्ययोजना तैयार करानी शुरू की है।
नमामि गंगे के तहत वैसे तो प्रदेश के गंगा किनारे के गांवों के सॉलिड व लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट को गंगा में प्रवाहित होने से रोकने के लिए कार्य होने हैं। वर्ष 2018 में जिले में डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार कराई गई थी। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण में बजट मिलने की उम्मीद भी जगी थी, लेकिन शासन स्तर पर डीपीआर फाइलों में खो गई। शासन से स्वीकृति नहीं मिल सकी। वहीं जलशक्ति मंत्रालय की ओर से अब नमामि गंगे के प्रोजेक्टों को दोबारा मांगे जाने से जिले में भी नए सिरे कार्ययोजना तैयार कराई जा रही है।
इन गांवों की फिर से तैयार कराई जा रही कार्ययोजना
बिलग्राम की कटरी बिछुइया, कटरी परसोला, कटरी छिबरामऊ, मल्लावां की शाहपुर पवार, मंसूरपुर तिगावां, हरपालपुर की मुर्चा, दहेलिया, अरवल, सांडी की मंसूरपुर, तेरापुरसौली, उमरौली जैतपुर, कटरी छोछपुर एवं छोछपुर में सॉलिड एवं लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए कार्ययोजना तैयार कराई जा रही है।
12.44 करोड़ की बनी थी डीपीआर
नमामि गंगे के तहत गंगा किनारे के गांवों में सॉलिड एवं लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए पंचायतीराज विभाग ने 12 करोड़ 44,69,500 रुपये की डीपीआर तैयार कराई थी, जो शासन को भेजी गई थी।
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गंगा किनारे के गांवों के प्रधान, पंचायत सचिव के माध्यम से नए सिरे पूरी जानकारी जुटाई गई है। गांव का मानचित्र भी रेखांकित कराया गया है, ताकि उसी अनुसार सॉलिड एवं लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट की कार्ययोजना तैयार कराई जा सके। डीपीआर तैयार होने पर जिला समिति से अनुमोदित कराकर जल्द ही शासन को भेजी जाएगी।
गिरीश चंद्र, जिला पंचायत राज अधिकारी