खतरे में जान, आड़े आया विभाग का फरमान
ष्द्धद्बद्यस्त्रह्मद्गठ्ठह्य द्यद्बद्घद्ग द्बठ्ठ स्त्रड्डठ्ठद्दद्गह्म ष्द्धद्बद्यस्त्रह्मद्गठ्ठह्य द्यद्बद्घद्ग द्बठ्ठ स्त्रड्डठ्ठद्दद्गह्म ष्द्धद्बद्यस्त्रह्मद्गठ्ठह्य द्यद्बद्घद्ग द्बठ्ठ स्त्रड्डठ्ठद्दद्गह्म
पंकज मिश्रा, हरदोई : बच्चे ही देश का भविष्य हैं। इनके जीवन से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है, लेकिन जिले का बिजली विभाग इनके जीवन से खतरा टालने के लिए शिक्षा विभाग से 1.43 करोड़ रुपये मांग रहा है। शिक्षा विभाग की रुपये न दे पाने की लाचारी, बच्चों के जीवन पर भारी पड़ती दिखाई दे रही है।
क्या है मामला
बेसिक शिक्षा विभाग ने छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए बिजली विभाग को जिले के 177 विद्यालयों के ऊपर से हाईटेंशन लाइन हटाने के लिए पत्र लिखा। लाइन हटाने के लिए बिजली विभाग ने शिक्षा विभाग से एक करोड़ 43 लाख रुपये की मांग रखी है। शिक्षा विभाग इतने ज्यादा रुपये देने में लाचारी दिखा रहा है तो बिजली विभाग भी तार हटाने में असमर्थता जता रहा है। इन दोनों के बीच बच्चों के जीवन पर खतरा जस का तस बना हुआ है। प्रशासन का निर्देश बेअसर
कई ग्रामीण विद्यालयों में लाइन टूटकर गिर चुकी है, बलरामपुर में तो बड़ा हादसा होते हुए बचा था। जिससे सबक लेते हुए जिलाधिकारी पुलकित खरे ने बेसिक शिक्षा विभाग को ऐसे विद्यालयों को चिह्नित कर बिजली विभाग को उन विद्यालयों के ऊपर से लाइन हटाने का निर्देश दिया था, लेकिन निर्देश का पालन नहीं किया गया।
--
कोट
विद्यालय पहले से बने हुए हैं। उनके ऊपर से हाईटेंशन की लाइन गुजार दी गई है। बिजली विभाग को खुद ही लाइन हटवानी चाहिए। शिक्षा विभाग रुपये देने में अक्षम है।
- हेमंतराव, बीएसए
---
-बिजली लाइन हटवाने के लिए खर्चा देने पड़ता है। जिसके लिए स्टीमेट तैयार किया जाता है। खर्च का विवरण शिक्षा विभाग को भेजा गया है। बिना धनराशि दिए लाइन नहीं हटाई जा सकती हैं।
- एनके मिश्रा, अधीक्षण अभियंता
------