बच्चों की फीस, किताबों के 75 लाख रुपये वापस
अनिवार्य शिक्षा अधिनयम के तहत गरीब परिवार के विद्यार्थियों को पब्लिक स्कूल में प्रवेश कराके शिक्षा ग्रहण करने के विभागीय दावे हवाई साबित हुए। गरीब परिवार के विद्यार्थियों को प्रवेश तो मिल गया मगर उसके लिए अभिभावकों को जेब ढीली करनी पड़ी। विभागीय उदासीनता के कारण गरीब बच्चों के लिए आया 75 लाख रुपये लैप्स हो गया । इससे अभिभावक और विद्यालयों में प्रवेश देने वाले संचालक भी परेशान है। ततत
हरदोई : वाह रे सिस्टम। अलाभित समूह के बच्चों का विद्यालयों में प्रवेश करा दिया गया। पूरे साल बच्चे फीस और कापी किताबों के लिए तरसते रहे। विद्यालयों में उनसे फीस मांगी जाती रही और बहुत से बच्चों ने तो स्कूल जाना भी छोड़ दिया। हद तो यह हो गई कि बच्चों की फीस के लिए शासन ने 75 लाख रुपये जारी भी किए और इतनी देर से जारी हुए कि बच्चों को उनका कोई लाभ नहीं मिल पाया। पूरी की पूरी धनराशि वापस कर दी गई है।
अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के तहत गरीब परिवार के बच्चों को किसी भी स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने का हक है। इसके लिए विद्यार्थी की स्टेशनरी और शुल्क विभाग की ओर से उठाया जाता है। इसके लिए विभाग विद्यार्थियों को कापी किताबों के लिए पांच हजार रुपये उनके खाते में भेजता है और शुल्क के लिए संबंधित विद्यालयों को 54 सौ रुपये भेजे जाते है। जिले में विगत शिक्षा सत्र में 719 बच्चों को प्रवेश विद्यालयों में कराया गया था। इन बच्चों के 72 विद्यालयों में प्रवेश हुए थे। विभाग की ओर से सभी के खाते में धनराशि स्थानांतरित की जानी थी। शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए विभाग को पहले आठ लाख 42 हजार रुपये मिला था।विभाग में विद्यालयों के खाते में दो माह का पैसा तीन लाख 12 हजार रुपये स्थानांतरित कर दिया। शेष पैसा विभाग के पास पड़ा रहा। विभाग और बजट का इंतजार करता है। विभाग को वित्तीय वर्ष के दो दिन पूर्व 70 लाख रुपये मिल गए थे। जिसको स्थानांतरित कराने के लिए 662 विद्यार्थियों की सूची तैयार की गई थी। इसके अलावा 72 विद्यालयों में धनराशि के स्थानांतरित के लिए सूची तैयार कर वित्त विभाग को भेजी गई थी।मगर वित्त विभागीय लापरवाही से धनराशि विद्यार्थियों के खाते और विद्यालयों के खाते में स्थानांतरित नहीं किया जा सका। नतीजन जिले में गरीब बच्चों के लिए आवंटित 75 लाख 30 हजार रुपये लैप्स हो गया। जिला समन्वयक संजय कुमार ने बताया कि प्रदेश के 25 जिले है जिनमें धनराशि स्थानांतरित नहीं की जा सकी। परियोजना से पुन: बजट की मांग की गई। बजट आने पर धनराशि स्थानांतरित कर दी जाएगी।