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योगासन, प्राणायाम व ध्यान से होता है मानव का निर्माण : डॉ. त्रिलोक चंद

गढ़ रोड स्थित आर्य समाज मंदिर में चल रहे सात दिवसीय योग शिविर का बृहस्पतिवार को समापन हो गया। शिविर के अंतिम दिन बड़ी संख्या में लोगों ने योगासनों और ध्यान का अभ्यास किया। हरिद्वार से आए योगाचार्य डा. त्रिलोक चंद ने कहा कि नियमित योग करने से शरीर और मन में निरंतर उर्जा एवं स्फूर्ति का संचार होता रहता है। उन्होंने कहा कि योग करने से किसी प्रकार की हानि नहीं होती है। योग एवं ध्यान के नियमित अभ्यास से आत्मा को परमात्मा की सच्ची अनुभूति प्राप्त होने लगती है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jun 2018 07:09 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jun 2018 07:09 PM (IST)
योगासन, प्राणायाम व ध्यान से होता है मानव का निर्माण : डॉ. त्रिलोक चंद
योगासन, प्राणायाम व ध्यान से होता है मानव का निर्माण : डॉ. त्रिलोक चंद

संवाद सहयोगी, गढ़ : गढ़ रोड स्थित आर्य समाज मंदिर में चल रहे सात दिवसीय योग शिविर का बृहस्पतिवार को समापन हो गया। अंतिम दिन बड़ी संख्या में लोगों ने योगासन और ध्यान का अभ्यास किया।

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हरिद्वार से आए योगाचार्य डॉ. त्रिलोक चंद ने कहा कि नियमित योग करने से शरीर और मन में निरंतर उर्जा एवं स्फूर्ति का संचार होता रहता है। उन्होंने कहा कि योग करने से किसी प्रकार की हानि नहीं होती है। योग एवं ध्यान के नियमित अभ्यास से आत्मा को परमात्मा की सच्ची अनुभूति प्राप्त होने लगती है। उन्होंने संगीत के माध्यम से ध्यान की जटिल प्रक्रिया को आसान रूप से समझाया। आर्य समाज के प्रधान आनंद प्रकाश आर्य और मंत्री विजेंद्र गर्ग ने योगाचार्य का केसरिया अंग वस्त्र, दुशाला और स्मृति चिन्ह देकर अभिनंदन किया। शिविर को सफल बनाने में अलका ¨सघल, बीना आर्य, पुष्पा आर्य, शकुन्तला, रेनू गोयल, दर्शन दयाल जैन, सुधीर गोयल, जितेंद्र माहेश्वरी आदि का विशेष योगदान रहा।

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योग करने से बुद्धि तीव्र एवं निर्मल होती है : आचार्य प्रदीप

जागरण संवाददाता, हापुड़ : ततारपुर स्थित गुरूकुल महाविद्यालय में चल रहे योग शिविर के अंतिम दिन योग प्रशिक्षक आचार्य प्रदीप शास्त्री ने कहा कि निरंतर योग के अभ्यास से बुद्धि तीव्र एवं निर्मल हो जाती है। योग का अभ्यास करने वाला व्यक्ति किसी भी विषय को शीघ्र समझ जाता है। सात्विक भाव होने से मनुष्य समाज का पथ प्रदर्शक बन जाता है।

योग प्रशिक्षक ने कहा कि आसनों का अभ्यास करने से शरीर में होने वाली बीमारियां समाप्त हो जाती है। उन्होंने कहा कि योग करने वाले व्यक्ति को ऋतु के अनुसार आहार ग्रहण करना चाहिए। प्राचार्य प्रेमपाल शास्त्री ने कहा कि योगमय जीवन जीने से ही परमपद और ब्रह्म का साक्षात्कार संभव है। योगासन एवं प्राणायाम करने से शरीर की कोशिकाओं में रक्त और आक्सीजन का संचार होता है। इससे मानव शरीर स्वस्थ बना रहता है। इस अवसर पर सत्येंद्र शास्त्री, शशवेंद्र शास्त्री, विनोद कुमार, रणजीत ¨सह व ओमदत्त आर्य ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए।


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