कर्मों का ही परिणाम है दु:ख और सुख : धर्मेश्वरानंद
प्राचीन तीर्थनगरी पुष्पावती गुरुकुल पूठ में चल रहे सामवेद पारायण यज्ञ का शुभारंभ करने के बाद गुरुकुल के योग गुरु स्वामी धर्मेश्वरानंद ने कहा कि यज्ञ दुनिया में सर्वश्रेष्ठ कर्म है। पाप से दुख और पुण्य से सुख मिलता है, जो व्यक्ति जैसा बीज बोता है उसे वैसा ही फल और वृक्ष प्राप्त होता है।
संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर
प्राचीन तीर्थनगरी पुष्पावती स्थित गुरुकुल पूठ में चल रहे सामवेद पारायण यज्ञ का शुभारंभ के अवसर पर स्वामी धर्मेश्वरानंद ने कहा कि यज्ञ दुनिया का सर्वश्रेष्ठ कर्म है। मनुष्य द्वारा पापकर्म करने के कारण उसे दु:ख और पुण्यकर्म करने से सुख मिलता है, जो व्यक्ति जैसा बीज बोता है उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है।
पुष्पावती पूठ स्थित गुरुकुल प्रांगण में शुक्रवार को सामवेद पारायण यज्ञ का शुभारंभ किया गया। आर्य प्रतिनिधि सभा के मंत्री धर्मेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि यज्ञ दुनिया का सर्वश्रेष्ठ कर्म है। यज्ञ के द्वारा मन की पवित्रता, बुद्धि की निर्मलता, आत्मा की शक्ति, प्रभु की भक्ति, वायु की शुद्धि, वेदों की रक्षा, समाज की समरसता की भावना पैदा होती है। यज्ञ करके देवत्व प्राप्त करने के लिए मिलने वाली ऊर्जा ऋषि मुनियों का लंबा अनुभव और अनुसंधान है। वेदपाठ के बीच कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने यज्ञ में आहुतियां प्रदान कीं। भजनोपदेशकों ने सुमधुर भजनों के माध्यम से वैदिक शिक्षा का संदेश दिया। इस अवसर पर राजीव कुमार, लवकुमार, राजेश आर्य, कुश कुमार, अमित आर्य, आनंद मिलन, चेतन, वासु, कुलदीप शास्त्री, दिनेश आचार्य, सुधीर शास्त्री, हर्षदेव, संदीप, प्रदीप शास्त्री, अरूण कुमार, कालू ¨सह, सुखानंद स्वामी, महेश आर्य, जीत ¨सह, धर्मवीर ¨संह, धर्मप्रकाश, विश्व बंधु आदि उपस्थित थे।